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________________ १ भारतीय चिन्तन में मोक्ष और मोक्ष-मार्ग दर्शनशास्त्र के जगत में तीन दर्शन मुख्य माने गये हैं- यूनानी दर्शन, पश्चिमी दर्शन और भारतीय दर्शन। यूनानी दर्शन का महान चिन्तक अरिस्टोटल (अरस्तु) माना जाता है । उसका अभिमत है कि दर्शन का जन्म आश्चर्य से हुआ है । 1 इसी बात को प्लेटो ने भी स्वीकार किया है। पश्चिम के प्रमुख दार्शनिक डेकार्ट, काण्ट, गल प्रभृति ने दर्शनशास्त्र का उद्भावक तत्व संशय माना है ।" भारतीय दर्शन का जन्म जिज्ञासा से हुआ है और जिज्ञासा का मूल दुःख में रहा हुआ है । जन्म, जरा, मरण, आधि-व्याधि और उपाधि से मुक्त होकर समाधि प्राप्त करने के लिए जिज्ञासाएँ जागृत हुईं। अन्य दर्शनों की भाँति भारतीय दर्शन का ध्येय ज्ञान प्राप्त करना मात्र नहीं है, अपितु उसका लक्ष्य दुःखों को दूर कर परम व चरम सुख को प्राप्त करना है । भारतीय दर्शन का मूल्य इसलिए कि वह केवल तत्त्व के गम्भीर रहस्यों का ज्ञान ही नहीं बढ़ाता अपितु परम शुभ मोक्ष को प्राप्त करने में भी सहायक है । भारतीय दर्शन केवल विचार प्रणाली नहीं किन्तु जीवन प्रणाली भी | वह जीवन और जगत के प्रति एक विशिष्ट दृष्टिकोण प्रदान करता है । है मोक्ष भारतीय दर्शन का केन्द्र बिन्दु है । श्री अरविन्द मोक्ष को भारतीय विचारधारा का एक महान शब्द मानते हैं। भारतीय दर्शन की यदि कोई महत्त्वपूर्ण विशेषता है जो उसे पाश्चात्य दर्शन से पृथक करती है तो वह मोक्ष का चिन्तन है । पुरुषार्थ चतुष्ट्य में मोक्ष को प्रमुख स्थान दिया गया है । धर्म साधन है तो मोक्ष साध्य है । मोक्ष को केन्द्र बिन्दु मानकर ही भारतीय दर्शन' फलते और फूलते रहे हैं । 1 फिलासफी बिगिन्स इन वण्डर । 2 दर्शन का प्रयोजन, पृ० २६ - डॉ० भगवानदास । 3 (क) अथातो धर्मजिज्ञासा - वैशेषिकदर्शन ६ । (ख) दुःख त्रयाभिधाताज् जिज्ञासा - सांख्यकारिका १, ईश्वरकृष्ण । (ग) अथातो धर्मजिज्ञासा -- मीमांसा सूत्र १, जैमिनी । (घ) अथातो ब्रह्मजिज्ञासा -- ब्रह्मसूत्र १।१ । 4 देखिये, भगवती आदि जैन आगम । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003180
Book TitleChintan ke Vividh Aayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1982
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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