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भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण के असंख्य नाम हैं। कोई उन्हें तथागत कहते हैं तो कोई उन्हें स्वयंभू, नायक, विनायक, परिणायक, बुद्ध, ऋषि, वृषभ, ब्राह्मण, विष्णु, ईश्वरः प्रधान, कपिल, भूतान्त, भास्कर, अरिष्टनेमि, राम, व्यास, शुक, इन्द्र, बलि, वरुण आदि नामों से पुकारते हैं ।१८ इतिहासकारों की दृष्टि में : __नन्दी सूत्र में ऋषि-भाषित (इसि भासियं) का उल्लेख है ।१९ उसमें पैंतालीस प्रत्येक बुद्धों के द्वारा निरूपित पैंतालिस अध्ययन हैं। उस में बीस प्रत्येक बुद्ध भगवान् अरिष्टनेमि के समय हुए।२° उनके नाम इस प्रकार हैं। १ नारद।
११ मंखली पुत्र। २ वज्जियपुत्र।
१२ याज्ञवल्क्य । ३ असित दविक ।
१३ मैत्रय भयाली। ४ भारद्वाज अंगिरस, १४ बाहुक । ५ पुष्पसाल पुत्र ।
१५ मधुरायण । ६ वल्कल चीरि।
१६ सोरियायण। ७ कुर्मा पुत्र।
१७ विदु। ८ केतली पुत्र।
१८ वर्षपकृष्ण । 8 महाकश्यप।
१६ आरियायण । १० तेतलिपुत्र ।
२० उल्कलवादी। उनके द्वारा पुरूपित अध्ययन अरिष्टनेमि के अस्तित्व के स्वयंभूत प्रमाण हैं।
प्रसिद्ध इतिहासकार डाक्टर राय चौधरी ने अपने वैष्णव धर्म के प्राचीन इतिहास में भगवान् अरिष्टनेमि (नेमिनाथ) को श्री कृष्ण | का चचेरा भाई लिखा है ।२१
१८. बौद्धधर्म दर्शन पृ० १६२ १६. नन्दीसूत्र २०. पत्तय बुद्धमिसिणो, वीसं तित्थे अरिट्ठणे मिस्स । पासस्स य पण्णरस, वीरस्स विलीणमोहस्स ।।
-इसिभासियं, पढमा संगहिणी गा० १ २१. णारद-वज्जिय-पुत्ते आसिते अंगरिसि-पुप्फसाले य ।
वक्कलकुम्मा केवलि कासव तह तेतलिसुते य ।।
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