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भगवान् अरिष्टनेमि बाईसवें तीर्थंकर हैं । आधुनिक इतिहास - कारों ने जो कि साम्प्रदायिक संकीर्णता से मुक्त एवं शुद्ध ऐतिहासिक दृष्टि से सम्पन्न हैं, उनको ऐतिहासिक पुरुषों की पंक्ति में स्थान दिया है । किन्तु साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से इतिहास को भी अन्यथा रूप देने वाले लोग इस तथ्य को स्वीकार नहीं करना चाहते। मगर जब वे कर्मयोगी श्रीकृष्ण को ऐतिहासिक पुरुष मानते हैं तो अरिष्टनेमि भी उसी युग में हुए हैं और दोनों में अत्यन्त निकट के पारिवारिक सम्बन्ध थे, अर्थात् श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव और अरिष्टनेमि के पिता समुद्रविजय दोनों सहोदर भाई थे, अतः उन्हें ऐतिहासिक पुरुष मानने में संकोच नहीं होना चाहिए ।
भगवान अरिष्टनेमि की ऐतिहासिकता
वैदिक साहित्य के आलोक में :
ऋग्वेद में 'अरिष्टनेमि' शब्द चार बार प्रयुक्त हुआ है ।' 'स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमि:' (ऋग्वेद १|१४|| ) यहाँ पर अरिष्टनेमि शब्द भगवान् अरिष्टनेमि के लिए आया है । कितने ही विद्वानों
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१. ( क ) ऋग्वेद १।१४।८६६. ( ग ) ऋग्वेद ३ | ४|५३।१७
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( ख ) ऋग्वेद १।२४ | १८०1१० (घ) ऋग्वेद १०।१२।१७८।१
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