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भौगोलिक परिचय : परिशिष्ट १
३८१ यमुना का प्रवाह समय-समय पर बदलता रहा है । प्रागैतिहासिक काल में यमुना मधुवन के निकट बहती थी। जहां उसके तट पर शत्र घ्न ने मथुरा नगरी की स्थापना की थी।१७९ कृष्ण-काल में यमुना का प्रवाह कटरा केशवदेव के निकट था। १७वीं शताब्दी में भारत आने वाले यूरोपीय विद्वान टेवनियर ने कटरा के समीप की भूमि को देखकर यह अनुमान किया था कि वहां किसी समय यमना की धारा थी। इस पर श्री ग्राउस का मत है, ऐतिहासिक काल में कटरा के समीप यमुना के प्रवाहित होने की संभावना कम है, किन्तु अत्यन्त प्राचीन काल में वहां यमुना अवश्य थी।१८० इससे भी यह सिद्ध होता है कि कृष्ण-काल में यमुना का प्रवाह कटरा के समीप ही था। ___ श्री कनिंघम का अनुमान है, यूनानी लेखकों के समय में यमुना की प्रधान धारा या उसकी एक बड़ी धारा कटरा केशवदेव की पूर्वी दीवाल के नीचे बहती होगी।१८५
। पुराणों से ज्ञात होता है प्राचीन वन्दावन में यमना गोवर्धन के निकट प्रवाहित होती थी,१८२ जबकि इस समय वह गोवर्धन से प्रायः १४ मील दूर हो गई है ।१८३ ब्रज :
ब्रज अथवा व्रज शब्द संस्कृत धातू 'व्रज' से बना है, जिसका अर्थ 'गतिशीलता' है । व्रजन्ति गावो यस्मिन्निति व्रजः-जहाँ गायें नित्य
१७७. चिदानंदमयी साक्षात् यमुना यम भीतिनत ।
-मथुरा माहात्म्य १७८. ब्रज का सांस्कृतिक इतिहास पृ० ३१ १७६. (क) वाल्मीकि रामायण, (उत्तर काण्ड ७।८)
(ख) विष्णुपुराण ६।१२।४ १८०. मथुरा-ए-डिस्ट्रक्ट मेमोअर (तृ० स०) पृ० १२६-१३० १८१. विदेशी लेखकों का मथुरा वर्णन (पौद्दार अभिनन्दन ग्रन्थ)
पृ० ८२८ १८२. भागवत दशम स्कंध तथा स्कंधपुराण १८३. ब्रज का सांस्कृतिक इतिहास पृ० ३२
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