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भौगोलिक परिचय : परिशिष्ट १
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राजधानी थी । कांची के चारों ओर का प्रदेश पल्लव जनपद कहा जाता था। आचार्य जिनसेन ने पल्लव को स्वतंत्र जनपद माना है । १५3 राजशेखर की काव्यमीमांसा से भी पल्लव स्वतंत्र जनपद था, ऐसा सिद्ध होता है । १५४ कांची के समीपवर्ती प्रदेश को डा० नेमिचन्द्र शास्त्री भी स्वतंत्र जनपद मानते हैं । १५५ भद्दिलपुर :
भद्दिलपुर मलयदेश की राजधानी था । इसकी परिगणना अतिशय क्षेत्रों में की गई है। मुनि कल्याणविजय जी के अभिमतानुसार पटना से दक्षिण में लगभग एक सौ मील और गया से नैऋत्यदक्षिण में अट्ठाईस मील की दूरी पर गया जिले में अवस्थित हटवरिया और दन्तारा गांवों के पास प्राचीन भदिलनगरी थी, जो पिछले समय में भाहलपूर नाम से जैनों का एक पवित्र तीर्थ रहा है।१५६
आवश्यक सूत्र के निर्देशानुसार श्रमण भगवान् महावीर ने एक चातुर्मास भदिलपुर में किया था। ____ डा० जगदीशचन्द्र जैन का मन्तव्य है कि हजारीबाग जिले में भदिया नामक जो गांव है, वही भद्दिलपुर था। यह स्थान हंटरगंज से छह मील के फासले पर कुलुहा पहाड़ी के पास है । १५७ पांचाल :
(पंचाल) पांचाल प्राचीन काल में एक समृद्धिशाली जनपद था। यह इन्द्रप्रस्थ से तीस योजन दूर कुरुक्षेत्र के पश्चिम और उत्तर में अवस्थित था। पंचाल जनपद दो भागों में विभक्त था, १ उत्तर पंचाल और दक्षिण पंचाल । पाणिनि के अनुसार-पांचाल जनपद तीन विभागों में विभक्त था-(१) पूर्वपांचाल, (२) अपर पांचाल
१५३. आदिपुराण १६।१५५ १५४. काव्य मीमांसा १७, अध्याय, देश विभाग, तथा परिशिष्ट २,
पृ० २६ १५५. आदिपुराण में भारत पृ० ६० १५६. श्रमण भगवान महावीर पृ० ३८० १५७. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज पृ० ४७१
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