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जीवन की सांध्य-वेला
जराकुमार का जंगल में गमन :
हम पहले लिख चुके हैं कि एक समय श्रीकृष्ण ने भगवान् अरिष्टनेमि से प्रश्न किया-भगवन् ! इस द्वारिका नगरी का, यादवों का और मेरा किस रूप से विनाश होगा, क्या स्वतः ही नष्ट होंगे, या किसी अन्य कारण से ?' ___ भगवान् ने समाधान करते हुए कहा-द्वारिका नगरी के बाहर ब्रह्मचर्य को पालने वाला, इन्द्रिय विजेता, द्वैपायन नामक ऋषि रहता है। उसका यादवों पर गहरा स्नेह है। उस ऋषि को किसी समय शाम्ब आदि यादवकूमार मदिरा से पागल होकर मारेंगे जिससे ऋद्ध होकर द्व पायन यादवों के साथ द्वारिका को जलाकर नष्ट कर देगा और जराकुमार के हाथ से तुम्हारा निधन होगा।
१. (क) त्रिषष्टि० ८।११।१-२,
(ख) भव-भावना, गा० ३७८१-८५,
(ग) हरिवंशपुराण ६१११७-२१ २. (क) त्रिषष्टि० ८।११।३ से ६
(ख) भव-भावना, ३७८६-३७६२ (ग) हरिवंशपुराण० ६११२३-२४
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