SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 345
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीवन के विविध प्रसंग १ | चमत्कारी भेरी : एक समय इन्द्र ने श्रीकृष्ण की प्रशंसा करते हुए कहा - श्रीकृष्ण कभी किसी के दुर्गुण नहीं देखते। और न किसी व्यक्ति के साथ नीच युद्ध करते हैं । 1 एक देव को इन्द्र के इस कथन पर विश्वास नहीं हुआ। वह सीधा द्वारिका में आया । उस समय श्रीकृष्ण रथ में बैठकर वनविहार को जा रहे थे । रास्ते में देव ने एक मृत कुतिया का रूप बनाया। उसके शरीर में कीड़े कुलबुला रहे थे । दुर्गन्ध से सिर फट रहा था । लोग उसे दूर से ही देखकर नाक-भौं सिकोड़ कर आगे बढ़ रहे थे । श्रीकृष्ण ने उसे देखा । सारथी से बोले - देखो न, इस कुतिया के दांत मोती की तरह चमक रहे हैं । इसके दांत कितने सुन्दर दिखलाई दे रहे हैं । कृष्ण आगे बढ़ गये । देव ने देखा वस्तुतः श्रीकृष्ण गुणानुरागी है । I । Jain Education International तत्पश्चात् देव ने एक तस्कर का रूप बनाया के अश्व रत्न को लेकर भागा । उसे छीनने के किया, पर चोर ने सेना को बोले- अरे चोर, मेरे घोड़े को की रक्षा चाहता है तो घोड़े को छोड़ दे । और वह श्रीकृष्ण लिए सेना ने पीछा भगा दिया। तब श्रीकृष्ण पहुँचे । लेकर कहां जा रहा है ? यदि प्राण For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy