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महाभारत का युद्ध
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हम पहले ही, इन्द्र ने जैसे बलि राजा को पकड़ लिया था, वैसे बल पूर्वक पुरुसिंह कृष्ण को कैद करलें । कृष्ण के पकड़े जाने पर पाण्डव लोग, जिसके दांत तोड़ दिये गये हों उस सर्प की तरह, बिल्कुल उत्साह-हीन और किंकर्तव्यविमूढ हो जायेंगे ।३९ ___ महाबुद्धिमान् और इशारों के जानने में प्रवीण सात्यकि ने उन लोगों का यह दुष्ट विचार जान लिया। उन्होंने पहले पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण से फिर राजा धृतराष्ट्र और विदुर से दुर्योधन के इस दुष्ट विचार का हाल कहा ।४१ सभी ने दुर्योधन के मूर्खतापूर्ण कृत्य की भर्त्सना की।४२ कृष्ण ने उस समय अपना चमत्कार बतलाकर सभी को चमत्कृत किया । ४३ फिर वे वहां से रवाना हो गये।
महाभारत में अन्त में आधे राज्य के स्थान पर पाँच गांव पांडवों को देने का भी उल्लेख आया है ।४४ क्या महाभारत का युद्ध ही जरासंध का युद्ध है ? :
महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों का युद्ध था । उस युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन के सारथी का कार्य किया किन्तु स्वयं ने युद्ध नहीं किया ।४५ ___ आचार्य शीलाङ्क ने महाभारत का उल्लेख नहीं किया, 'चउप्पन्न महापुरिस चरियं'४६ में, कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र ने त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र में, आचार्य मल्लधारी हेमचन्द्र ने भव-भावना
३६. महाभारत उद्योग पर्व, अ० १३० श्लोक ३ से ६ ४०. वहीं० श्लोक
४१. वहीं० श्लोक १२-१३ ४२. वहीं० श्लोक १४ से ५३ ।।
३. वहीं० अ० १३१, श्लोक ४-२२ ४४. सर्वं भवतु ते राज्यं पञ्चग्नामान्विसर्जय । अवश्यं भरणीया हि पितुस्ते राजसत्तम ! ।
-महाभारत उद्योग० अ० १५०, श्लोक १७ ४५. पाण्डव चरित्र, देवप्रभसूरी, अनुवाद सर्ग १२, पृ० ३८० ४६. अ० ४६-५०-५१, पृ० १८७-१६० ४७. पर्व ८ ४८. भव-भावना
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