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महाभारत का युद्ध
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नेतृत्व में रहकर ही युद्ध करना चाहते हैं, अतः मुझे उनको सहयोग देना होगा। मैं उनको वचन भी दे चुका हूँ। तथापि आपका बहुमान रखने के लिए मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि युद्ध के क्षेत्र में, मैं स्वयं धनुष-बाण नहीं उठाऊंगा, परन्तु अर्जुन का सारथी बन्*गा। ऐसा कहकर श्रीकृष्ण ने भीष्म पितामह को नमस्कार किया। व कर्ण के साथ आगे चले गये । महाभारत में :
प्रस्तुत प्रसंग महाभारत में अन्य रूप से आया है। वह इस प्रकार है :
युद्ध में श्रीकृष्ण की सहायता लेने के लिए दुर्योधन और अर्जुन दोनों उनके महल में पहुँचे। उस समय कृष्ण सोये हुए थे। दुर्योधन उनके सिरहाने एक मूल्यवान् आसन पर जा बैठे और अर्जुन कृष्ण के पांवों की ओर बैठे। ____ जागते ही श्रीकृष्ण ने पहले अपने सामने बैठे हुए अर्जुन को देखा, उसके बाद दुर्योधन को।° कृष्ण ने दोनों का स्वागत किया और आने का कारण पूछा। दुर्योधन ने कहा-युद्ध में आप हमें सहायता दीजिए । हम दोनों आपके समान सम्बन्धी हैं तथापि मैं आपके पास पहले आया हूं। सज्जनों का नियम है कि जो पहले आता है उसका पक्ष लिया जाता है। ___ कृष्ण ने कहा- यह सत्य है कि आप पहले आये हैं किन्तु मैंने पहले अर्जुन को देखा है इसलिए मैं उसकी भी सहायता करूगा। मैं अपनी ओर से दो प्रकार की सहायता का प्रस्ताव करता हूँ-एक ओर मेरी नारायणी सेना है जो यद्ध करेगी, दूसरी ओर युद्ध न करने का प्रण करके निहत्था मैं रहूँगा।११ अजुन छोटा है अतः जो चाहे, पहले वह पसंद कर ले ।
६. पाण्डव चरित्र पु० ३४८ । १०. प्रतिबुद्धः सवाष्र्णेयो ददर्शाऽने किरीटिनम् । म तयो स्वागतं कृत्वा, यथावत्प्रति पूज्य तौ ।।
--महाभारत उद्योग पर्व, अ० ७, श्लोक १०
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