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महाभारत का युद्ध
पाण्डवों को छू त में पराजय :
देवप्रभसूरि के पाण्डवचरित्र के अनुसार युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव ये पाँचों पण्डु राजा के पुत्र होने से पाण्डव के नाम से प्रसिद्ध थे। पाण्डवों की माता कुन्ती थी, जो वासुदेव श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव की सहोदरा बहिन थी। पाण्डवों के साथ श्रीकृष्ण का पारिवारिक सम्बन्ध होने से सहज अनुराग था । पाण्डव हस्तिनापुर के अधिपति थे। __पण्डुराजा के लघुभ्राता धृतराष्ट्र थे। उनके दुर्योधन, दुःशासन आदि सौ पुत्र हुए। वे 'कौरव' नाम से विश्रुत थे । दुर्योधन इन्द्रप्रस्थ का अधिनायक था। युधिष्ठिर और दुर्योधन के स्वभाव में दिन रात का अन्तर था । युधिष्ठिर नम्न, सरल, और मधुर प्रकृति के धनी थे तो दुर्योधन मायावी, ईर्ष्यालु और क्रोधी था। पाण्डवों के विराट वैभव को देखकर दुर्योधन ईर्ष्या से जलता रहता था। उसने उनके वैभव को हस्तगत करने की इच्छा से युधिष्ठिर को इन्द्रप्रस्थ बुलाया, और उनके साथ छल से त खेल उन्हें पराजित करके उनका वैभव छीन लिया । यहाँ तक कि दुर्योधन की आज्ञा से दुःशासन पाण्डवों की
१. पाण्डवचरित्र-देवप्रभसूरि ।
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