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भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण
हे मगधराज ! या तो तुम उन राजाओं को छोड़ दो, या फिर
हमारे साथ युद्ध करो । ३४
जरासंध ने कृष्ण से कहा - जिन राजाओं को मैं अपने बाहुबल सेहरा चुका हूं उन्हीं को मैंने यहाँ बलिदान के लिए कैद कर रखा है । हारे हुए राजाओं के अतिरिक्त यहां कोई कैद नहीं है । इस पृथ्वी पर ऐसा कौन वीर है, जो मेरे साथ युद्ध कर सके । मैंने जिन राजाओं को कैद कर रखा है उन्हें तुमसे डरकर कैसे छोड़ सकता हूँ ? मैं तुम्हारे साथ युद्ध करने को तैयार हूँ । ३५
कृष्ण ने जरासंध से पूछा - हम तीन में से किसके साथ युद्ध करना चाहते हो ? ३६
जरासंध ने भीमसेन को पसंद किया । 3 दोनों का परस्पर युद्ध चलने लगा । वे बाहुपाश, उरोहस्त, पूर्णकुम्भ, अतिक्रान्त मर्यादा, पृष्टभंग, सम्पूर्ण मूर्च्छा, तृणपीड, पूर्णयोग, मुष्टिक आदि विचित्र युद्ध करके अपना बल और कौशल दिखलाने लगे । दोनों ही वीर युद्ध - कला में सुशिक्षित और बल में भी बराबर थे । उ
उन दोनों का युद्ध कार्तिककृष्णा प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर चतुर्दशी की रात्रि तक चलता रहा । जरासंध थक गया था, वह युद्ध कुछ समय के लिए बंद करना चाहता था । 3 तब श्रीकृष्ण ने भीम से कहा - हे कुन्तीनन्दन ! थका हुआ शत्रु पीड़ा नहीं दे सकता और बड़ी सुगमता से मारा जा सकता है । इसलिए इस समय तुम इससे बराबर युद्ध करो। श्रीकृष्ण के इस प्रकार कहने से भीम अधिक उत्तेजित हुए उन्होंने झपटकर बड़े वेग से उस पर हमला किया 10 फिर वह उसे ऊपर उठा कर वेग से घुमाने लगा । सौ बार ऊपर
३४. महाभारत वहीं श्लो० २६
३५. महाभारत, सभापर्व, अ० २२, श्लो० २७-३०
३६. वहीं, अ० २३, श्लो० २
३७. वहीं, अ० २३, श्लो० ४
३८. वहीं, अ० २३ श्लो० ५-२०
३६. वहीं, अ० २३ श्लो० २५-३०
४०. महाभारत, सभापर्व, अ० २३, श्लो० ३१-३५
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