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द्वारिका में श्रीकृष्ण
मथुरा से प्रस्थान : ___श्वेताम्बर जैन ग्रन्थों के अनुसार दूसरे दिन समुद्रविजयजी ने अपने सभी भाइयों को बुलाया और परस्पर मंत्रणा की कि हमें अब क्या करना चाहिए ? जरासंध से हमने विग्रह किया है, उसका परिणाम शीघ्र आने वाला है।
परम हितैषी क्रोष्टकी निमित्तज्ञ को बुलाकर उन्होंने अपने भविष्य के सम्बन्ध में पूछा कि जरासंध के साथ जो विग्रह प्रारंभ हुआ है उसका परिणाम क्या आयेगा ?' ___क्रोष्ट्रकी ने कहा- कुछ समय के पश्चात् ये महान् पराक्रमो बलराम और श्रीकृष्ण जरासंध को मारकर तीन खण्ड के अधिपति होंगे, पर यहाँ रहना आप सभी के लिए हितावह नहीं है। इस समय आप पश्चिम दिशा के समुद्र की ओर जाओ। वहां जाते ही आपके शत्र ओं का नाश होगा, मार्ग में जाते-जाते जहां सत्यभामा दो पुत्रों को एक साथ जन्म दे, वहीं नगरी बसाकर रहना। वहां पर आपका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकेगा।२ ।
1५।३५८-३५६ २. (क) त्रिषष्टि० ८।५॥३६०-६२
(ख) भव-भावना २५२०-२५२४
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