________________
गोकुल और मथुरा में श्रीकृष्ण
२१७ गये । केशों को पकड़कर उसे जमीन पर पटक दिया। उसका मुकुट भूमि पर गिर पड़ा ! कृष्ण बोले-अरे दृष्ट ! तूने अपनी रक्षा के लिए व्यर्थ ही गर्भ-हत्याए की, पर याद रख अब तू भी बचने वाला नहीं है।
उधर बलराम ने मुष्टिक को भी मार डाला था। कंस हताश था।
कंस की रक्षा के लिए उसके सैनिक हाथों में शस्त्रास्त्र लेकर कृष्ण को मारने के लिए तैयार हुए कि बलराम ने मंच के एक खंभे को लेकर उन सभी को भगा दिया। उधर श्रीकृष्ण ने कंस के मस्तिष्क पर पैर रखा और उसे मार दिया। जैसे दूध में से मक्खी बाहर निकाल कर फेंक दी जाती है वैसे ही उसे मण्डप में से बाहर फेंक दिया ।५२ हरिवंशपुराण के अनुसार कंस स्वयं तलवार लेकर कृष्ण को मारने आता है तब कृष्ण ने उसकी तलवार छीन ली, और बाल पकड़कर पृथ्वी पर पछाड़कर मार दिया ।५3 ___ कंस ने पहले से ही जरासंध के सैनिकों को अपनी रक्षा के लिए बुला रक्खा था। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि कंस की यह स्थिति हो गई। तब वे कृष्ण और बलराम को मारने के लिए आये । उसी समय समुद्रविजय आदि दशाह युद्ध करने के लिए कृष्ण की ओर से मैदान में कूद पड़े । समुद्रविजय आदि को देखकर जरासंध के सैनिक भाग गये।५४
समुद्रविजयजी की आज्ञा से अनाधृष्टि बलराम और श्रीकृष्ण को रथ में बैठाकर वसुदेव के घर पर लेकर आये। वसुदेव ने आधे
५२. (क) कृष्णोऽपि पादं शिरसि न्यस्य कंसं व्यपादयत् । केशैः कृष्ट्वाक्षिपद्रगाद्वहिस्तं दाविवार्णवः ।।
-त्रिषष्टि० ८।५।३१३० (ख) भव-भावना, २४६५-२४७७ ५३. अभिपतदरिहस्तात्खङ्गमाक्षिप्य केशे
ध्वतिदृढमतिगृह्याहत्य भूमौ सरोषम् ।। विहितपरुषपादाकर्षणस्तं शिलायां । तदुचितमिति मत्वा स्फाल्य हत्वा जहास ।।
-हरिवंशपुराण ३६।४५, पृ० ४६५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org