________________
गोकुल और मथुरा में श्रीकृष्ण
२११ चढ़ाएगा और पाञ्चजन्य शंख को मुख से पूर्ण करेगा-फूकेगा वह पुरुषों में उत्तम तथा सबके पराक्रम को पराजित करने वाला समझा जायेगा। पुरुषों के अन्तर को जानने वाला कंस उस पर बहुत प्रसन्न होगा, अपने आपको उसका मित्र समझेगा तथा उसके लिए अलभ्य इष्ट वस्तु देगा। ____ कंस की यह घोषणा सुनकर अनेक राजा मथुरा आये, नागशय्या पर चढ़ने का प्रयत्न किया परन्तु भयभीत हो, लज्जित हो चले गये। एक दिन कंस की स्त्री जीवयशा का भाई भानु किसी कार्य वश गोकुल गया। वहां कृष्ण का अद्भुत पराक्रम देखकर वह बहुत प्रसन्न हुआ और उन्हें अपने साथ मथुरा ले गया ।
यहां, जिसके समीप का प्रदेश अत्यन्त सुसज्जित था, जिसका पृष्ठ भाग चन्द्रमा के समान उज्ज्वल था, एवं जिसके ऊपर भयंकर सों के फण लहलहा रहे थे, ऐसी महानागशय्या पर कृष्ण साधारण शय्या की तरह शीघ्र चढ़ गए। तदनन्तर उन्होंने सांपों के द्वारा उगले हुए धूम को बिखेरने वाले धनुष्य को प्रत्यञ्चा से युक्त किया और अपनी घोर टंकार से समस्त दिशाओं को व्याप्त कर देने वाले शंख को अनायास ही पूर्ण कर दिया । कृष्ण का अपार पराक्रम देख बलराम को शंका हुई और उन्होंने उसी समय अपने विश्वस्त व्यक्तियों के साथ श्रीकृष्ण को व्रज भेज दिया। 33 ___ कंस ने शाङ्ग धनुष के महोत्सव के बहाने पहलवानों के बाहु-युद्ध का आयोजन किया। वसुदेव ने कंस की दुर्भावना समझ ली। उन्होंने उसी समय अपने ज्येष्ठ बन्धुओं को तथा अक्र र आदि सभी पूत्रों को वहां पर बुलाया । सभी का यथोचित सत्कार कर उन्हें योग्य आसन पर बिठाया ।४ ____ मल्लयुद्ध की वार्ता को सुनकर श्रीकृष्ण ने बलराम से कहा--- भैया ! हम भी मथुरा चलें और मल्ल युद्ध देखें। बलराम ने यशोदा को स्नान के लिए पानी तैयार करने को कहा । पर यशोदा ने पानी तैयार नहीं किया । वह शान्त बैठी रही। तब बलराम ने
३३. हरिवंशपुराण ३५७१-७६, पृ० ४५७-४५८ ३४. त्रिषष्टि० ८।५।२४४-२४६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org