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कंस : एक परिचय
वसुदेव हिण्डी, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, आदि ग्रन्थों के अनुसार भोजवृष्णि मथुरा में राज्य करते थे । उनके उग्रपराक्रमवाला उग्रसेन नामक पुत्र हुआ । युवावस्था आने पर धारिणी के साथ उसका पाणिग्रहण हुआ । भोजवृष्णि के पश्चात् उग्रसेन मथुरा के राजा हुए। एकदिन महारानी धारिणी गर्भवती हुई । गर्भ के प्रभाव से रानी के अन्तरमानस में महाराजा उग्रसेन के शरीर का मांस खाने की भावना उबुद्ध हुई, पर उसने अपनी यह कुत्सित मनोकामना किसी के सामने प्रकट नहीं की । चिन्ता से वह प्रतिदिन कृश होने लगी ।' राजा ने रानी के कृश होने का कारण जानना चाहा, तब किसी प्रकार लज्जा के साथ रानी ने अपने हृदय की बात कही, राजा ने मंत्रियों से परामर्श किया। तब रानी ने दोहद को पूर्ण करने के लिए मंत्रीगण राजा को एक अंधेरे कमरे में ले गये । उसी के सन्निकटवर्ती कमरे में रानी को बैठाया गया, जहां से वह राजा के शब्दों को भली-भांति सुन सके । राजा के उदर पर एक शशक का ताजा मांस रखा गया । शशक के मांस को जब काटने का प्रदर्शन किया गया तब राजा इतना जोर से चिल्लाया जैसे वस्तुतः
१. त्रिषष्टिशलाका० ८२६
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