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________________ भारतीय साहित्य में श्रीकृष्ण १७७ वृहस्पति की सहायता लेकर इन्द्र ने उसे पराजित किया । ऋग्वेद में इन्द्र को कृष्णासुर की गर्भवती स्त्रियों का वध करने वाला कहा है।४९ __छान्दोग्य उपनिषद् में कृष्ण देवकी पुत्र कहे गये हैं। वे घोर अङ्गिरस ऋषि के निकट अध्ययन करते हैं। देवकीनन्दन श्रीकष्ण के लिए वासूदेव, विष्णु, नारायण, गोविन्द, आदि अनेक नाम प्रचलित रहे हैं। कृष्ण वदेसूव के पुत्र थे अतः वासुदेव कहलाते थे। अनेक स्थलों पर वासुदेव का उल्लेख आया है। ऐतरेय ब्राह्मण में विष्णु को सर्वोपरि देव माना है।५२ ऋग्वेद में विष्णु शब्द का प्रयोग अनेकार्थक और विपुल है, किन्तु उसकी एक विशेषता यह है कि वह सर्वत्र एक दिव्य महान और व्यापक शक्तिका प्रतीक रहा है । ५३ विष्ण के विविध रूपों का वर्णन जे० गोंडा नामक विद्वान ने अपने शोध ग्रन्थ एस्पैटक्स ऑव अर्ली विष्णइज्म में विस्तारपूर्वक किया है। विष्णु की शक्ति का उत्तरोत्तर विकास ब्राह्मण ग्रन्थों में मिलता है। विष्ण के वैशिष्ठ्य की कथाए शतपथ ब्राह्मण"४ और तैत्तिरी यारण्यक में मिलती हैं और उसकी महत्ता मैत्रय उपनिषद् और कठोपनिषद्५५ में बताई गई है। कृष्ण को शान्तिपर्व में विष्णु का रूप बताया है ।५६ गीता में कृष्ण विष्णु के पूर्ण अवतार है। महाभारत में कृष्ण के लिए गोविन्द नाम भी आया है । वासुदेव श्रीकृष्ण ने शान्ति पर्व में अपना नाम गोविन्द बताया है । ४८. ऐतरेय आरण्यक ३।२।६ ४६. ऋग्वेद १।१०।११ ५०. छान्दोग्योपनिषद्, तृतीय अध्याय, सप्तदश खण्ड श्लोक ६, गीताप्रेस गोरखपुर। ५१. देखिए-तीर्थंकर और वासुदेव । ५२. ऐतरेयब्राह्मण-१-१ । ५३. J. Gonda. Aspects of Early Vishnuism, P. 3. ५४. शतपथ १।२।५। १४-१-१ ५५. कठोपनिषद् ३६ ५६. महामारत शान्ति पर्व अ०४८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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