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भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण
शिष्य परिवार :
कल्पसूत्र१४५ के अनुसार भगवान् अरिष्टनेमि का संघ समुदाय इस प्रकार था :
अर्हत् अरिष्टनेमि के अठारह गण और अठारह गणधर थे । १४६ उनके गण समुदाय में वरदत्त आदि १८००० श्रमणों की उत्कृष्ट श्रमण .म्पदा थी। आर्यायक्षिणी आदि ४०००० श्रमणियों की उत्कृष्ट श्रमणी सम्पदा थी। उनके नन्द आदि १०००६६ श्रमणोपासक और महासुव्रता आदि ३०००३६ श्रमणोपासिकाए थीं। ____ अर्हत् अरिष्टनेमि के समुदाय में जिन नहीं, पर जिन समान तथा सर्व अक्षरों के संयोगों को अच्छी तरह जानने वाले यावत् ४१४ पूर्वधारियों की सम्पदा थी। इसी प्रकार १५०० अवधिज्ञानी १५०० केवली, १५०० वैक्रिय लब्धिधारी, १००० विपुलमती मनः पर्यवज्ञानी ८०० वादी, और १६०० अनुत्तरौपपातिकों की सम्पदा थी। उनके श्रमण समुदाय से १५०० श्रमण सिद्ध हुए और ३००० श्रमणियां सिद्ध हुई।
हरिवंशपुराण आदि दिगम्बर ग्रन्थों में उनके संघ समुदाय का वर्णन इस प्रकार है
भगवान् अरिष्टनेमि व समवसरण में श्र तज्ञानरूपो समुद्र के भीतरी भाग को देखने वाले वरदत्त आदि ग्यारह गणधर सुशोभित थे ।१४° भगवान् के समवसरण में सज्जनों के माननीय चार सौ
त्वाष्ट्र शुचिसिताष्टम्यां शैलेशीध्यानमास्थितः । सायं तैर्मुनिभिः सार्ध नेमिनिर्वाणमासदत् ।।
___ --त्रिषष्टि० ८।१२।१०८-१०६ १४५. कल्पसूत्र सूत्र १३६, पृ० २३६-२३७
- देवेन्द्रमुनि सम्पादित १४६. मलधारी आचार्य देवप्रभसूरि रचित पाण्डव चरित्र सर्ग, ६
पृ० ५३५ में ग्यारह गणधर का उल्लेख है। विशेष स्पष्टीकरण
गणधर कितने इस प्रकरण में किया गया है । १४७. एकादश गणाधीशा वरदत्तादयस्तदा । श्रुतज्ञानसमुद्रान्तर्दशिनोऽत्र विरेजिरे ॥
-हरिवंशपुराण ५६।१२७१७०५
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