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________________ ७४ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण, गर्भ में आते ही गर्भ के प्रभाव से माता शिवा देवी ने हस्ती, वृषभ, सिंह, लक्ष्मीदेवी पुष्पमाला, चन्द्र, सूर्य, ध्वजा, कुभ, पद्मसरोवर, क्षीरसागर, विमान, रत्नपुञ्ज, और निधूम अग्नि, ये चौदह महास्वप्न देखे ।१६ दिगम्बर परम्परा के अनुसार सोलह स्वप्न देखे थे। उपरोक्त चौदह स्वप्नों के अतिरिक्त मत्स्ययुगल और नागेन्द्र भवन ये दो स्वप्न अधिक थे ।१० वर्षाऋतु के प्रथम मास श्रावण शुक्ला पञ्चमी के दिन नौ माह पूर्ण होने के पश्चात् चित्रा नक्षत्र के योग में भगवान् अरिष्टनेमि का जन्म हुआ।१८ गुणभद्राचार्य ने श्रावण शुक्ला षष्ठी लिखा है९ परन्तु दिगम्बर परम्परा के समर्थ प्राचार्य जिनसेन ने हरिवंश पुराण में वैशाख शुक्ला त्रयोदशी को भगवान् अरिष्टनेमि का जन्म माना है। हमारी दृष्टि से यह जन्मतिथि मानना संगत नहीं है, क्योंकि कार्तिक शुक्ला षष्ठी के दिन उनके मन्तव्यानुसार वे गर्भ में आये, और वैशाख शुक्ला त्रयोदशी को उनका जन्म हुआ तो उनका गर्भ काल छह माह और सात दिन का ही होता है, जबकि १५. मासे कार्तिक शुक्लपक्षे । षष्ठ्यामथोत्तराषाढे निशान्ते स्वप्नमालिकाम् । आलोकतानुवक्त्राब्जं प्रविष्ठञ्च गजाधिपम् ॥ ----उत्तरपुराण ७१।३१-३२ पृ० ३७७ १६. कल्पसूत्र, १६२ १७. (क) हरिवंशपुराण सर्ग ३७, श्लोक ६-२१, पृ० ४७१-४७३ (ख) उत्तरपुराण ७१, श्लोक ३२ १८. अरिहा अरिट्टनेमी जे से वासाणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे सावण सुद्ध तस्स णं सावणसुद्धस्स पंचमीपक्खेणं नवण्हं मासाणं जाव चित्ताहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं अरोगा अरोगं पयाया। -कल्पसूत्र १६३ १६ स पुनः श्रावणे शुक्लपक्ष षष्ठीदिने जिनः । ज्ञानत्रितयभृत्त्वष्ट्टयोगे तुष्टयामजायत ॥ -उत्तरपुराण ७११३८, पृ० ३७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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