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१ = १, 3. स, छ,श्री.श्री २ = २, न, लि,नि श्री.श्री ३ - ३.मः,श्री, श्री श्री ४- कककका ,कों क, का, क, क्रा, ए, ५० सईई),
तान, नाजानी हावी. ६- फ..फा,,मार्क,फ्राओ,
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२ = छ, धा. ३- ल, ला. ५%Cc...
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यहां इकाई, दहाई और सैकड़ों की संख्या लिखने के समय पथक-पथक अंक दिए गा। हैं। पत्रांक लिखने में उनका उगो प्रकार उपयोग होता है ताकि संख्या का मही प्राकलन किया जा सके। चाल अंक सीधी लाइन में लिखे जाते हैं, परन्तु नाड़पत्रीय व उमी शैली के कागज के ग्रन्थों का पत्रांक देते समय पर नीचे लिखने की प्रथा थी। जैन छेद सूत्र यादिव भाष्य, चूणि, विशेष चणि, टीका ग्रादि में अक्षरांक सीधी पंक्ति में ही लिखे गए हैं।