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मार्मिक बेद्यडकता है । संक्षेप में प्राचार्यश्री के विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रथम पुस्तक है ।
5. शांति के पथ पर भाग-1, 2 -- प्राचार्य तुलसी:- प्रस्तुत दोनों पुस्तकों में श्राचार्य श्री तुलसी के प्रवचनों का संग्रह है । सांस्कृतिक सम्मेलन, दर्शन कान्फ्रेन्स, युवक सम्मेलन, विचार परिषद्, साहित्य परिषद्, संस्कृत साहित्य सम्मेलन, महावीर जयन्ती, दीक्षा समारोह, स्वतन्त्रता दिवस, पर्युषण पर्व, अहिंसा दिवस आदि विशेष अवसरों पर दिए गए प्रवचन तथा संदेश संकलित हैं ।
6. तुलसी वाणी - मुनि दिनकरः - प्रस्तुत पुस्तक में प्राचार्य श्री तुलसी के प्रेरणाप्रद छोटे-छोटे प्रवचनों का संकलन है ।
काव्य साहित्यः-
1.
भाव और अनुभाव --मुनि नथमल : - प्रस्तुत कृति सूक्तियों और नीतिः प्रवचनों का भण्डार है । भाषा की सरसता और सौम्यता के कारण सूक्तियों में निखार आ गया है । प्रस्तुत कृति में अनुभूतियों का तीखापन है और व्यापक दर्शन है ।
2. अनुभव चिन्तन मनन -- --मुनि नथमल :- प्रस्तुत कृति में दार्शनिक चिन्तनशीलता और अनुभूतियों की प्रखरता मुखरित हुई है ।
3. आखों ने कहा --मुनि बुद्धमल:- प्रस्तुत कृति में परिस्थितियों का ऊबड़-खाबड तथा अज्ञात पगडण्डी पर बढने वाले मानव संकल्प को विभिन्न प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया गया है ।
4. पथ और पथिक - साध्वी राजीमतीः - इस लघु कृति में निराश व्यक्ति को उसके कर्तब्य-बोध के प्रति जागरुक किया गया है । पथिक संबोधन से लिखे गए य गद्य प्रकृति की मूक भाषा में प्रेरणा के स्वर निकालते हैं।
5.
रेखाचित्र -- मुनि श्रीचन्द्र: - 51 गद्यात्मक प्रस्तुत कृति में प्राचार्य श्री तुलसी के जीवन का ऐसा शब्द चित्र खींचा गया है जिसकी प्रत्येक रेखा जीवन की विशेष घटना या विचारों का प्रतिनिधित्व करती है ।
6.
प्रकृति के चौराहे पर - साध्वी मंजुला:- प्रस्तुत कृति में संवेदनशील मानस का शब्द-मय प्रतिबिम्ब है। प्रकृति की विचित्रता में 88 जिज्ञासानों को उपस्थित करके उनका समाधान भी प्रश्नों के माध्यम से दिया गया है ।
7. वर्तमान भारत का नक्शा:
8. मौन वाणी --मुनि चन्दन (सरसा ) : - प्रस्तुत कृति में सरल व सीधी भाषा में व्यावहारिक तथ्यों से प्रेरणा का स्वर मुखरित किया गया है ।
9.
अन्तर्ध्वनी --- मुनि चन्दन (सरसा ) :- इस लघु कृति में अनुभूतियों और कल्पनाओं का संगम हुआ है ।