________________
343
2. जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान--मुनि नगराजः-बुद्धिजीवी स्वीकार करते हैं कि जैन दर्शन वैज्ञानिक दर्शन है। प्रस्तुत पुस्तक दर्शन और विज्ञान की समीक्षात्मक सामग्री प्रस्तुत करती है। इसमें परमाण, भू-भ्रमण, स्याद्वाद आदि की जैन दर्शन सम्मत विवेचना प्रस्तुत करते हए आधनिक विज्ञान की मान्यताओं के साथ उसकी तुलना प्रस्तुत की गई है। लेखक जैन दर्शन के मूलभूत कतिपय तथ्यों को वैज्ञानिक कसौटी पर कसकर उनकी सारगभिता प्रतिपादित कर पाठक के मन पर जैन दर्शन की वैज्ञानिकता की अमिट छाप छोड़ जाता है।
3. अतीत का अनावरण-मुनि नथमल:-प्रस्तुत कृति शोधपूर्ण ग्रन्थ है। श्रमण संस्कृति का प्रागवैदिक अस्तित्व, श्रमण संस्कृति आत्म विद्या के संधानी क्षत्रियों की उपलब्धि, प्रार्य-अनार्य, बद्ध और महावीर, आगम ग्रन्थों का विचार और व्यवहार तत्व, बृहत्तर भारत के दक्षिणार्ध और उत्तरार्ध की विभाजन रेखा वैताद्य पर्वत आदि विषयों पर 25 निबंधात्मक इस कृति में अनेक तथ्य उद्घाटित हुए हैं जो धर्म और दर्शन जगत में पहेली बने हुए थे।
4. अहिंसा तत्व दर्शन---मुनि नथमल:--प्रस्तुत कृति अहिंसा विश्वकोश है। इसमें अहिंसा पर समग्र दृष्टिकोण से विचार प्रस्तुत करते हुए पागम तथा उत्तरवर्ती प्राचार्यों के दृष्टिकोण प्रतिपादित किए गए हैं। अहिंसा के क्रमिक विकास पर एतिहासिक विश्लेषण भी इसमें : विस्तार से हुआ है।
5. अहिंसा और विवेक-~-मुनि नगराज:-प्रस्तुत पुस्तक में अहिंसा का विकास अहिंसा का स्वरूप तथा उसकी अवस्थाओं का चित्रण बहुत सहज ढंग से किया गया है। प्राचार्य भिक्ष की अहिंसा दृष्टि को महात्मा गांधी की अहिंसा दृष्टि के साथ तोलते हुए दोनों में कहां भेद अभेद है उसका सुन्दर विवेचन प्रस्तुत किया गया है ।
6. विश्व प्रहेलिका-मुनि महेन्द्र कुमार:-इस कृति में वैज्ञानिक सिद्धान्तों और उनसे सम्बद्ध दार्शनिक प्रतिपादनों का पालोचनात्मक विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ विश्व सम्बन्धी जैन सिद्धान्तों का विशद निरूपण भी हुआ है। प्रस्तुत कृति में विज्ञान, पाश्चात्य दर्शन और जैन दर्शन के आलोक में विश्व की वास्तविकता, स्वरूप और उसकी स्थिति की गणित के माध्यम से मीमांसा की गई है।
7. सत्य की खोज अनेकान्त के पालोक में--मुनि नथमल:---यह 13 शीर्षकों में विभक्त जैन दर्शन के मलभूत सिद्धान्तों को अाधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने वाली मौलिक कृति है। इसमें भगवान महावीर की अर्थ नीति, समाज शास्त्र, कर्मवाद, परिणामि नित्यवाद आदि विषयक मान्यताओं को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है।
8. अहिंसा पर्यवेक्षण--मुनि नगराज:--समाज में अहिंसा का विकास क्यों, कब और कैसे हुआ इसका क्रमिक ब्यौरा प्रस्तुत पुस्तक में उपस्थित किया गया है । कालक्रम के साथ अहिंसा के उन्मेष और निमेष देखे गए हैं।
9. शब्दों की वेदी अनुभव का दीप--मुनि दुलहराजः-प्रस्तुत पुस्तक भगवान महावीर के जीवन प्रसंग, प्रेरक कथाएं, पागम-संपादन सम्बन्धी विशेष जानकारी, संप्रदायों का इतिहास, ग्रन्थों का समीक्षात्मक अध्ययन, आगम वाक्यों की व्याख्या आदि 119 लेखों में वह विविध सामग्री प्रस्तुत करती है।
10. अहिंसा के अंचल में--मुनि नगराजः-प्रस्तुत पुस्तक में समय-समय पर लिखे गए अहिंसा विषय के लेखों का संग्रह है। इसमें अहिंसा के विभिन्न पहलों पर चिन्तन किया गया है।