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________________ 110 पाण्डुलिपि अजमेर के भट्टारकीय ग्रंथ भण्डार में संग्रहीत है। इसका रचनाकाल संवत् 1652 है। पुराण विस्तृत है तथा सभी काव्यगत तत्वों से युक्त है। (18) देवेन्द्रः यशोधर के जीवन पर सभी भाषाओं में कितने ही काव्य लिखे गये हैं। राजस्थानी एवं हिन्दी में भी विभिन्न कवियों ने इस कथा को अपने काव्यों का आधार बनाया है। इन्हीं काव्यों में देवेन्द्र कृत यशोधर चरित भी है जिसकी पाण्डुलिपिडूंगरपुर के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध है। काव्य वहद है। इसका रचना काल सं. 1683 है। देवेन्द्र विक्रम के पुत्र थे जो स्वयं भी संस्कृत एवं हिन्दी के अच्छे कवि थे। कवि ने महमा नगर में यशोधर की रचना समाप्त की थी संवत् 16 आठ नीसि पासो सुदी बीज शुक्रवार तो। रास रच्यो नवरस् भर्यो महुआ नगर मझार तो॥ कवि ने अपनी कृति को नवरस से परिपूर्ण कहा है। (19) कल्याणकीति:-- भट्टारक सकलकीर्ति की परम्परा में होने वाले मुनि देवकीति के शिष्य कल्याणकीर्ति थे। ये 17वीं शताब्दी के विद्वान् थे। कवि की अब तक निम्न रचनायें उपलब्ध हो चुकी हैं:-- चारुदत्त चरित्न (1692) श्रेणिक प्रबन्ध पार्श्वनाथ रासो बधावा चारुदत्त चरित्र में सेठ चारुदत्त के जीवन पर प्रकाश डाला गया है। रचना दहा और चौपई छन्द में है। इसका दूसरा नाम चारुदत्त रास भी है। इस कृति को इन्होंने भिलोडा ग्राम में निबद्ध की थी। श्रेणिक संबंध तो इन्होंने बागड देश के कोटनगर में संवत् 1705 में लिखा था। कल्याणकीति राजस्थानी भाषा के अच्छे कवि हैं। इनके द्वारा रचित संस्कृत रचनायें भी मिलती हैं जिनके नाम जीरावली पार्श्वनाथ स्तवन, नवग्रह स्तवन एवं तीर्थंकर विनती हैं। (20) वर्धमान कविः-- भगवान महावीर पर यह प्राचीनतम रास संज्ञक कृति है जिसका रचना काल संवत् 1665 है। रास के निर्माता वर्धमान कवि हैं। काव्य की दृष्टि से यह अच्छी रचना है। वर्धमान कवि ब्रह्मचारी थे और भट्टारक वादिभूषण के शिष्य थे। रास की एकमात्र पाण्डुलिपि उदयपुर के अग्रवाल दिगम्बर जैन मन्दिर में संग्रहीत है। (21) भट्टारक वीरचन्द्रः वीरचन्द्र प्रतिभा सम्पन्न विद्वान् थे। व्याकरण एवं न्यायशास्त्र के प्रकाण्ड वेत्ता थे। संस्कृत, प्राकृत, गुजराती एवं राजस्थानी पर इनका पूर्ण अधिकार था। ये भ. लक्ष्मीचन्द्र के
SR No.003178
Book TitleRajasthan ka Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherDevendraraj Mehta
Publication Year1977
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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