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बेगड शाखा:
जिनसमुद्रसूरि:-
18वीं शती। कल्पान्तर्वाच्य, सारस्वत बातुपाठ, बैराग्यञ्चतक टोका
पिप्पलक शाखा:
जिनसागरसूरि:- 15वीं शती। कर्पूर प्रकर टीका, सिद्धहेमशब्दानुशासन लावृत्ति धर्मचन्द्रः
सिन्दूरप्रकर टीका (1513), स्वात्मसम्बोध, कर्पूरमम्जरो सट्टक
टीका हर्षकुञ्जरोपाध्याय।-- सुमित्र चरित्र (1535) विनयसागरोपाध्याय:- अविदपद-शतार्थी, नलवर्णन महाकाव्य (अप्राप्त), प्रश्नप्रबाण
काव्यालंकार स्वोपज्ञ टीकासह (1667), राक्षस काव्य टीका,
राघव पाण्डवीय काव्य टीका, विदग्धमुखमण्डन टीका (1669) उदयसागरः-- 17वीं शती । वाग्भटालंकार टीका
आद्यपक्षीय शाखा:--
दयारल:--
न्यायरत्नावली (1626) 18वीं शती। आचारांग सूत्र टीका
जिनचन्द्र सूरि:--
सुमतिहंस:--
18वीं शती । कल्पसूत्र टीका
2. राजस्थान में रचित संस्कृत-साहित्य की सूची :
लेखकों ने अपनी कृतियों के अन्त में रचना समय के साथ जहां रचना स्थान का निदश्च किया है उन कृतियों की सूची विषयवार एवं अकारानुक्रम से प्रस्तुत कर रहा हूं। इस सूची के निर्माण में मैने “जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास" जैन संस्कृत साहित्य नो इतिहास, जिनरत्न कोष और स्वसम्पादित "खरतरगच्छ साहित्य-सूची" आदि पुस्तकों का उपयोग किया है। विशेष शोध करने पर इस प्रकार की कई सूचियां तैयार की जा सकती हैं।