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________________ तत्त्वज्ञान-स्मारिका बीच-बीच में भूरे व हरे रंग के भाग भी दिखाई । बादलों के बीच एक लाल रंग का विस्तृत अंडादेते हैं, जो वहां की 'ऋतु' के अनुसार छोटे- कार भाग है । वह क्या है, इसका कोई अनुबड़े होते हैं। इससे अनुमान किया जाता है, | मान नहीं लगाया जा सका है। वह वहां की वनस्पति की हरियाली है । मंगल बृहस्पति का वायुमंडल अधिकांशतः गीले के दोनों ध्रव रंग में सफेद हैं; पर उस ग्रह पर । गैस व अमोनिया से पूरित होना चाहिए । वह पानी का जितना अभाव है, उससे वह सफेदी | आठ हजार मील ऊंचाई तक आच्छादित है । बर्फ नहीं हो सकती। फिर भी यह सफेदी | उसके नीचे शायद सत्रह हजार मील मोटी बर्फ सर्दियों में अधिक गरमियों में कम होती देखी का रेगिस्तान है और उसके नीचे पत्थर का गयो है; इसलिए ज्योतिषियों का मत है कि वह उसका भीतरी भाग । और वह होगा ३७ हजार 'पाला' होना चाहिये । मील व्यास का, अपनी पृथ्वी के व्यास से पांच ___ मंगल पर ऐसे भी भाग हैं, जिन्हें आपस | गुना अधिक । में जोड़ती सीधी, कभी टेढ़ी पतली काली रेखाएं बृहस्पति की गुरुत्वाकर्षण-शक्ति इतनी दिखाई दी हैं । इन्हें 'नहर' कहा जाता है। प्रबल है कि पृथ्वी पर का १८ पौंड का वजन पर वे जलवाहिनी नहरे नहीं हो सकतीं; क्योंकि | उस ग्रह पर ४२० पौंड वजन होगा । बृहमंगल पर जल का अभाव है । वे लकीरें ऐसी | पति के १२ उपग्रह हैं। प्राकृतिक दरारें होंगी, जैसी हमारी पृथ्वी पर बहस्पति के पश्चात् दूसरा सबसे बड़ा ग्रह नहीं देखने में आतीं । इस ग्रह के दो नन्हे उप- | है शनि । उसे सूर्य की परिक्रमा में साढे उनतीस ग्रह-चंद्रमा-भी हैं। वर्ष लगते हैं और वह सूर्य से औसतन ८८ । बृहस्पति मंगल से परे दूसरा विशालकाय | करोड ७० लाख मील दूर रहता है । अपनी ग्रह है । ४८ करोड ४० लाख मील की औसत | धुरी पर यह साढ़े दस घंटे में एक चक्कर लगा दूरी से सूर्य की परिक्रमा में इसे १२ वर्ष लगते लेता है। इसके ध्रुव बहस्पति की अपेक्षा भी हैं। इतना बृहद्काय होकर भी यह ग्रह अपनी अधिक चपटे हैं । यह बहुत ही ठंडा ग्रह है । धुरी पर दस घंटे में एक चक्कर लगा लेता है। बृहस्पति की भांति इसका वायुमंडल भी विषाक्त इस चक्कर के कारण मध्यरेखा के समीप यह | गैसपूर्ण बादलों से पूरित है। फूले पेट के समान और ध्रुवों पर चपटा हो । सबसे महत्वपूर्ण अचरज की बात है इस गया है । इसके वातावरण में भी बादल दिखते | ग्रह के चारों ओर के छल्ले । एक के भीतर हैं; पर वे भी जल-विहीन हैं । बृहस्पति का | एक तीन चपटे छल्ले शनि ग्रह की मध्यरेखा के तापमान हिमांक से २०० डिग्री कम है, इसलिए वृत्त के चारों ओर घूमते रहते हैं । अनुमान वे बादल अमोनिया के कणों से बने होंगे । उन । किया जाता है कि वे छेल्ले अनगिनत छोटे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003177
Book TitleTattvagyan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year1982
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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