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Vay परमाणु-पुदगल संस्थान
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प्रेमलाल शर्मा : डॉ. शक्तिधर शर्मा
पंजाबी युनिवर्सिटी-पतियाला (पंजाब) MAMundedessettesbabsterbolesteresssettesetsetsekshshreshtottartin
सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी के मध्यकाल शब्दों की व्याख्या भी यथा सम्भव पाठकों के में पू. उपा. श्री विनयविजयगणो जैन-दार्शनिकों
| सौकर्य के लिए कर दी है। में एक महत्त्वपूर्ण दार्शनिक माने जाते है।
___ यहाँ हम पुद्गल की परिभाषा अथवा गुणों उन्होंने 'श्री लोकप्रकाश' नामक एक बहुत
का विवेचन नहीं करेंगे । क्योंकि इन विषयों से बड़ा ग्रन्थ लिखा । उस ग्रन्थ में जैन-दार्शनिकों के अभिमत सभी सिद्धान्तों का विवेचन आ सम्बन्धित एक लेख * छप चुका है। अतः मा जाता है।
पुद्गल परिमाण–'संस्थान' का विवेचन ही करेंगे। यह ग्रन्थ कई भागों में विभक्त है, 'द्रव्य- पुद्गल के संस्थान-बन्ध-गति आदि दस लोकप्रकाश' भी उनमें एक भाग है, इसके
परिणामो में 'संस्थान' परिणाम महत्त्वग्यारहवेसर्ग में 'पुद्गल' पर सारगर्भित विवेचन
| पूर्ण हैं । (१) मिलता है । इस ग्रन्थ की अभी तक कोई व्याख्या उपलब्ध नहीं है। यदि द्रव्य-लोकप्रकाश के
संस्थान से तात्पर्य है-पुद्गलों की आकृति, ग्यारहवे सर्ग की व्याख्या की जाय तो अच्छे । अर्थात् जिसमें परमाणु-पुद्गल एकत्रित होकर २ परिणाम आने की सम्भावना है । इस दिशा | विशिष्ट संघात को धारण करे। ये पुद्गलमें हमारा प्रयास जारी है।
संस्थान Solid state Physics x में वर्णित ___ इस ग्रन्थ के ग्यारहवे सर्ग में परमाणु
क्रिस्टल-आकृतियाँ से मिलते हैं। पुद्गल विषयक विवेचन के थोडा हिस्सा अपने ढंग से प्रस्तुत करने जा रहे हैं।
इस प्रकार परमाणु-पुद्गल के पांच संस्थान इस लेख में श्लोक बीच में न देकर अन्त होते हैं- (१) परिमण्डल (२) वृत्त (३) व्यस्र में सन्दर्भ के रूप में दिये गये हैं । पारिभाषिक । (४) चतुरस्र (५) आयत-संस्थान २
४ देखिए-'विश्वसंस्कृतम्' वर्ष १९८० मार्च * देखिए-Introduction to solid state physics 5 th Edition by ckittle.
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