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________________ . . . . सत्त्वज्ञान स्मारिका ... - सुरबीज चूं कि ही प्राण-रसायण है, अतः इनके - लाभकारी आगे व पोछे ही का समावेश करना आवश्यक जं - घातकारी है, जैसे ही मैं ही, मृत्युनाशक ही आँ ही .. - कामनापूरक शान्तिदाता आकर्षणकारी। टं - क्षोभन ___ यदि सम्पूर्ण वर्णमाला ही बीज रूप नहीं ठं ठः - विष मृत्युनाशन होती तो सिद्धचक्र में इनकी (वर्णमाला) की डं - गतिमान स्थापना कर उसकी पूजार्चना नहीं की जाती । ढं - सम्प्रति बीज बीजाक्षरों का संक्षिप्त स्वरूप यहाँ समणं - प्राण बीज झाया जा रहा हैतं - अष्ट सिद्धि प्रदाता ही - माया बीज सर्जक थं - मृत्युभय नाशक दं - दुर्गाबीज वशकारी इसे किसी भी मंत्र में संयुक्त किया जा धं – जयसुखकारी सकता है। नं - ज्वरनाशकारी (बीज) श्री – लक्ष्मी बीज पं - सर्व विघ्न-विनाशक श्ची – इन्दुबीज शान्तिदाता फं- धन-धान्य-वर्द्धक वी - सुधा बीज क्री – अंकुश बीज बं - रोग–विनाशक क्लीं- अनंग बीज भं - पिशाच भय-विनाशक क्ष्मं - आश्रय बीज मं - आह्वान बीज (भूत प्रेतादि) ब्लीं क्लीं – रत्न बीज अष्ट महासिद्धिकारी ह्यो – महाशक्ति बीज यं - उच्चाटन, उग्र कर्मकारी हाः – निरोधन बीज वं – विषमृत्यु-विनाशक ठः - स्तंभनकारी शं- श्रीकारी ब्लै ब्लौ --- विमल पिण्ड पं - धर्मार्थ-काम-मोक्षकर ग्लै - आकर्षणाक्षर ग्लो – स्तम्भन सं - ज्ञानकारी हूँ - विद्वेषकारी हं - कल्याण बीज ब्लू- द्रावक लं - भूलाभकारी द्रां द्रीं - द्रावक क्षं - मृत्युनाशक नमः - शोधक, अर्चक . . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003177
Book TitleTattvagyan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year1982
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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