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श्रेणि सर्व नही है : तिम्पका यथा स्वरूपकी स्थापनाऐसा स्वरूप है ए बात श्रीअनुयोगद्वारे है. अने सम त्री है इति अलम्. हिवै पुगलके छव्वीस भंग्याकी स्थापना पनवणाजीको ( श्रीमलयगिरि सूरिकृत ) टीकासे है ते यथा- परमाणु- पुद्गल में १ भंग पावें तीजा अवक्तव्य, इदं (यं) चस्थापना दोप्रदेश में मंग २ पावें चरम एक, अवक्तव्य एक, इदं च स्थापना प्रदेशीमें भंग ४ पावें १। ३।९।११. स्थापना
१०।११।१२।२३।. एस्थापना सेन के फोन
भंग. स्थापना १|३|७|९| १०|११|१२|१३|२३/२४२५ मंत्र
१३ [-]
२५/२६. एवं १५. इदं च स्थापना
इदं च स्थापना
'च स्थापना
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विशेषाअलोक सर्व स्ताक धिक ३
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विशेषाधिक ४
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छ प्रदेशीमें १५ भंग लाभे ते. १ ३३७/८/९ / १०२११।१२/१३/१४। १९/२३/२४ ।
२४ चिनन
बैंक
अनंत प्रदेशी पर्यंत ज्ञेयम्.
(८५) श्रीमज्ञापना दशमे पदात् यंत्र
द्रव्यार्थे ज्ञेयं
प्रदेशार्थे
अचरम | चरमाणि
| सर्व स्तोक असंख्य
गुणे २
को
७
मी ऐक
अपरम
प्रदेश
असंख्य गुणे ७
44
१०
११
बेबल बेडबाय मोड
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अनंत पुणेट
मं सोच पान में
चरम प्रदेश
एक एक EEEEEEEE आठ प्रदेशीमे १८. इदं
असंख्य गुणे ५
विशेषाधिक ९
त्रि
चारप्रदेशी में भंग सात १।३१९
पांचप्रदेशी में १९
विशेषाधिक ६
२५
BAB 1887 daa
०
का कै
सात प्रदेशी स्कंधमें १७ भंग पावे..
(८६) श्री भगवतीके कोड मे शते ८ मे उद्दे
द्रव्यार्थे
प्रदेशार्थे
असंख्येय गुणे २
ऊर्ध्व
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चार दिशा चरमांत
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१२३
of fiv 龆剛
१४
35
ਛੋੜਾ
संख्येय
अधो चरमांत सर्व स्तोक १ गुणे ४
33
२६
गर्म एवं नवथी
39
13
संख्येय गुणे
५
असंख्येय गुणे ३
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