________________
आवाका व्या
आलोक क
Jain Education International
अचार म
अवक्तव्य
(८४) लोकका स्वरूप
jo
आलोक के अचार म
10
०
10
o
olo ०
o
10/01
이
이
O
o
010/ 9 १० ०
०
a
!o
०
ᄋ
ल
이
a
ool
olo
o
०
ool
10
०
이이이이이이이이
100
०
०
10
o
o
10
C
०
10
०
C
O
10
a
o
ooo
अलोकके अरम
अवाक व्या
For Private & Personal Use Only
आलोक के
अ च ज्ञ म
अथ लोकस्वरूप विचार ख २ भूमि १४ विश्लेष की १२ रहै एवं १४ प्रदेश के चढे बारां प्रदेशकी हान होये है. उदाहरण यथा - आदिमे चौदा प्रदेश है अने अंतमे २ प्रदेश है. सो चौदाका नाम 'भूमि' है अने टोका नाम मुख' है. सो
ख २ चवदे माहिथी काटे
१६
आवक्तव्य
www.jainelibrary.org