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________________ श्रावक धर्म - अणुव्रत (५) तंबोल - सुपारी इलायची आदि मुखवास की वस्तुओं का वजन से प्रमाण करना । (६) वत्थ - - दिन रात में वस्त्र- कपड़े आदि काम में लिये जांय जिन की संख्या का प्रमाण करना । (७) कुसुमेसु - सूंघने की वस्तु के वजन का प्रमाण करना । (८) वाहन - - गाडी, घोड़ा, ऊंट, मोटर, जहाज आदि फिरते चलते, तैरते, उडते वाहन की संख्याका प्रमाण करना । (६) शयन - उपभोग में आने वाली रजाइयां, गादियां, शाल, दुशाले, पलंग आदि की संख्या का प्रमाण करना । (१०) विलेपन -- शरीर पर, सिर पर मालिश करने कराने की वस्तु का प्रमाण करना । (११) ब्रह्मचर्य - पालन करने के लिये यथा शक्ति नियम लेना । १२) दिशा - दश दिशाओं में जाने का प्रमाण करना । १३) न्हाण - स्नान करने की गिनती का प्रमारण करना धार्मिक क्रिया के हेतु अधिक बार स्नान करना पडे तो जयगा । (१४) भत्तेसु - भोजन पान की वस्तुओं का वजन रखना । इस प्रकार से चौदह नियम नित्य धारना जिस मे संयोगानुसार कम या अधिक रख सकते हैं । इसके Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003175
Book TitleShravak Dharma Anuvrata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, C005, M000, & M020
File Size3 MB
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