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श्रावक धर्म-अणुव्रत
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पालन करना, जिस में बताया है कि नित्य सामायिक करना यह नौवां व्रत, दसवां व्रत देशावगासिक अर्थात् दिशा प्रमाण का संक्षेप करना, ग्यारहवां पौषधोपवास व्रत-साल भर में अमुक संख्या में पौषध करना, और बारहवां अतिथिसंविभाग-दान देना सत्कार करना आदि जिसका संक्षिप्त वर्णन आगे देख लेवें ।
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