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भगवती सूत्र : एक परिशीलन ८३ महावीर का विभज्यवाद भगवती में अनेक स्थलों पर आया है। जयन्ती के प्रश्नोत्तर विभज्यवाद के रूप को स्पष्ट करते हैं। अतः हम कुछ प्रश्नोत्तर दे रहे हैंजयंती- भंते ! सोना अच्छा है या जागना? महावीर- कितनेक जीवों का सोना अच्छा है और कितनेक जीवों का
जागना अच्छा है। जयंती- इसका क्या कारण है? महावीर- जो जीव अधर्मी हैं, अधर्मानुगामी हैं, अधर्मिष्ठ हैं, अधर्माख्यायी
हैं, अधर्मप्रलोकी हैं, अधर्मप्ररञ्जन हैं, वे सोते रहें यही अच्छा है। क्योंकि जब वे सोते होंगे तो अनेक जीवों को पीड़ा नहीं देंगे। वे स्व, पर और उभय को अधार्मिक क्रिया में नहीं लगायेंगे। इसलिये उनका सोना श्रेष्ठ है। पर जो जीव धार्मिक हैं, धर्मानुगामी हैं, यावत् धार्मिक वृत्ति वाले हैं, उनका तो जागना ही अच्छा है। क्योंकि वे अनेक जीवों को सुख देते हैं। वे स्व, पर और उभय को धार्मिक अनुष्ठानों में लगाते हैं। अतः उनका
जागना अच्छा है। जयंती- भन्ते ! बलवान् होना अच्छा या दुर्बल होना? महावीर- जयंती ! कुछ जीवों का बलवान् होना अच्छा है तो कुछ जीवों
का दुर्बल होना अच्छा है। जयंती- इसका क्या कारण है? महावीर- जो अधार्मिक हैं या अधार्मिक वृत्ति वाले हैं, उनका दुर्बल होना
अच्छा है। वे यदि बलवान् होंगे तो अनेक जीवों को दुख देंगे। जो धार्मिक हैं, धार्मिक वृत्ति वाले हैं, उनका सबल होना अच्छा है।
वे सबल होकर अनेक जीवों को सुख पहुँचायेंगे। इस प्रकार अनेक प्रश्नों के उत्तर विभाग करके भगवान् ने प्रदान किये। विभज्यवाद का मूल आधार विभाग करके उत्तर देना है। दो विरोधी बातों का स्वीकार एक सामान्य में करके उसी एक को विभक्त करके दोनों विभागों में दो विरोधी धर्मों को संगत बताना, यह विभज्यवाद का फलितार्थ है। यहाँ यह भी स्मरण रखना है कि दो विरोधी धर्म एक काल में किसी एक व्यक्ति के नहीं बल्कि भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के हैं। भगवान् महावीर ने
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