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________________ ५२ भगवती सूत्र : एक परिशीलन ही कष्ट न चाहने पर भी आते हैं। देव, मानव और तिर्यञ्च सम्बन्धी ऐसे कष्ट जो स्वतः आ जाते हैं और दूसरे कष्ट उदीरणा करके बुलाये जाते हैं। जैसे आसन करना, ध्यान लगाकर स्थिर हो जाना, भयंकर जंगल में कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़ा होना, केश लुञ्चन करना आदि। जैसे मेहमान को निमंत्रण देकर बुलाया जाता है वैसे ही साधक अपने धैर्य, साहस वृद्धि के हेतु कष्टों को निमंत्रण देता है। भगवतीसत्र१२३ में जहाँ कायक्लेश तप का उल्लेख है, वहाँ पर बावीस परीषहों का भी वर्णन है। कायक्लेश और परीषह में जरा अन्तर है। कायक्लेश का अर्थ है-अपनी ओर से कष्टों का स्वीकार करना। साधक विशेष कर्मनिर्जरा के हेतु अनेक प्रकार के ध्यान, प्रतिमा, केश लुञ्चन, शरीर मोह का त्याग आदि के द्वारा तप को स्वीकार करता है। यह विशेष तप कायक्लेश कहलाता है। कायक्लेश में स्वेच्छा से कष्ट सहन किया जाता है, जबकि परीषह में स्वेच्छा से कष्ट सहन नहीं किया जाता है अपितु श्रमण जीवन के नियमों का परिपालन करते हुए आकस्मिक रूप से यदि कोई कष्ट उपस्थित हो जाता है तो उसे सहन किया जाता है। आवश्यकचूर्णि१२४ में लिखा है, जो सहन किये जाते हैं, वे परीषह हैं। कायक्लेश हमारे जीवन को निखारता है। उसकी साधना के अनेक रूप आगम साहित्य में प्राप्त हैं। स्थानांग१२५ में कायक्लेश तप के सात प्रकार बताये हैं-कायोत्सर्ग करना, उत्कुटुक आसन से ध्यान करना, प्रतिमा धारण करना, वीरासन करना, निषद्या-स्वाध्याय प्रभृति के लिए पालथी मारकर बैठना, दंडायत होकर या खड़े रहकर ध्यान करना लगण्डशायित्व । औपपातिकसूत्र२६ में कायक्लेश तप के चौदह प्रकार प्रतिपादित हैं १. ठाणट्टिइए-कायोत्सर्ग करे।। २. ठाणइए-एक स्थान पर स्थित रहे। ३. उक्कुडु आसणिए-उत्कुटुक आसन से रहे। ४. पडिमट्ठाई-प्रतिमा धारण करे। ५. वीरासणिए-वीरासन करे। ६. नेसिज्जे-पालथी लगाकर स्थिर बैठे। ७. दंडायए-दंडे की भाँति सीधा सोया या बैठा रहे। ८. लगंडसाई-(लगण्डशायी) लक्कड़ (वक्र काष्ठ) की तरह सोता रहे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003173
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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