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प्रकाशकीय बोल
सामान्यतः तत्वज्ञान और आगम का विषय नीरस और दुरूह माना जाता है, इसलिये सामान्य पाठक आगम विषय को अपनी बुद्धि व समझ से अगम्य विषय मानकर पुस्तक देखने से ही सकुचाता है। किन्तु भगवती सूत्र की प्रस्तुत पुस्तक को इसका अपवाद ही माना जायेगा। यह आगम विषयक विशाल पुस्तक होने पर भी बहुत ही रोचक, ज्ञानवर्धक और विविध विषयों की जानकारी से युक्त है।
परम श्रद्धेय आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी महाराज ने लगभग २५ सूत्रों पर गुरु-गंभीर प्रस्तावनायें लिखी हैं। जो पूरे आगम का अन्तरंग - बहिरंग दर्शन कराने में दर्पण के समान है। आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी महाराज ने उन प्रस्तावनाओं में आवश्यक संशोधन / परिवर्धन करके पुस्तकाकार रूप मे प्रकाशित करने के लिए हमें अनुग्रहीत किया है। हम आचार्य श्री के अपूर्व ज्ञानदान के प्रति हृदय से विनत हैं। कृतज्ञ हैं। इस उपक्रम से आगम अभ्यासी पाठकों को विशेष लाभ मिलेगा। आगम वाचन की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन भी मिलेगा। अतः आशा है, हमारे आगम सम्बन्धी प्रकाशन विशेष महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
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चुन्नीलाल धर्मावत (कोषाध्यक्ष)
श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय शास्त्री सर्कल, उदयपुर
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