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________________ २०४ भगवती सूत्र : एक परिशीलन भगवान-योग से। गौतम-भगवन् ! योग किससे उत्पन्न होता है? भगवान-वीर्य से। गौतम-वीर्य किससे उत्पन्न होता है ? भगवान-जीव से। सारांश यह है कि जीव शरीर का निर्माता है। शरीर ही क्रियात्मक वीर्य का साधन है। जो जीव शरीरधारी है वही प्रमाद और योग के द्वारा कांक्षा मोहनीय कर्म का बंध करता है। -भगवती श. १, उ. ३, सूत्र १२६/१३१ वेदना एक समय श्रमण भगवान महावीर राजगृह के गुणशीलक. नामक उद्यान में समवसत हुए। परिषद् एकत्रित हुई। धर्म देशना श्रवण कर परिषद चली गई। गणधर गौतम ने भगवान से जिज्ञासा की-भगवन ! नैरयिक जीव कितने प्रकार के पुद्गलों का भेद और उदीरणा करते हैं। भगवान ने कहा-गौतम ! नैरयिक जीव कर्म पुद्गल की अपेक्षा अणु और बाह्य (सूक्ष्म और स्थूल) इन दो प्रकार के पुद्गलों का भेद और उदीरणा करते हैं। इसी प्रकार चय, उपचय, वेदना, निर्जरा, अपवर्तन, संक्रमण, निधत्ति, और निकाचन करते हैं। गौतम ने पुनः जिज्ञासा प्रस्तुत की-भगवन् ! नैरयिक जीव तैजस और कार्मण पुद्गलों का ग्रहण अतीत काल में करते हैं ? वर्तमान काल में करते हैं या अनागत काल में करते हैं ? ____ भगवान ने समाधान दिया-गौतम ! नैरयिक जीव तैजस कार्मण पुद्गलों का ग्रहण अतीत काल में नहीं करते, वर्तमान काल में करते हैं, अनागत काल में नहीं करते। . गौतम ने पुनः पूछा-भगवन् ! नैरयिक जीव अतीत में ग्रहण किये हुए तैजस और कार्मण पुद्गलों की उदीरणा करते हैं ? वर्तमान में ग्रहण किये जाने वाले पुद्गलों की उदीरणा करते हैं ? ग्रहण समय पुरस्कृत वर्तमान से अगले समय में ग्रहण किये जाने वाले पुद्गलों की उदीरणा करते हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003173
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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