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________________ १७८ भगवती सूत्र : एक परिशीलन गुरुदेव फरमाते हैं - आर्य ! परिणाम दो प्रकार का कहा है- जीव परिणाम और अजीव परिणाम । जीव के १0 परिणाम हैं, इसी तरह अजीव के भी 90 परिणाम हैं। - जीव परिणाम (१) गति ( नरकादि चार) ( २ ) इन्द्रिय ( श्रोत्रादि पाँच) (३) लेश्या ( कृष्णादि छह ) (४) कषाय ( क्रोधादि चार ) (५) योग ( मन आदि तीन ) (६) उपयोग (साकार - अनाकार ) (७) ज्ञान ( मतिज्ञानादि ५ ) (८) दर्शन ( सम्यग्दर्शनादि तीन ) ( ९ ) चारित्र ( सामायिकादि पाँच) (१०) वेद ( स्त्री आदि तीन ) Jain Education International अजीव परिणाम बंधन (स्निग्ध - रूक्ष) गति ( स्पृशद्-अस्पृशद्) संस्थान ( परिमंडलादि ५ ) (१) (२) (३) (४) भेद (खंडादि ५) (५) वर्ण (कृष्णादि पाँच) (६) गंध (सुरभि दुरभि ) (७) रस ( तिक्तादि पाँच) (८) स्पर्श ( कर्कशादि आठ) (९) अगुरुलघु (एक) (१०) शब्द - भगवती शतक १४, उ. ४, For Private & Personal Use Only ७ सूत्र - प्रज्ञापना पद १३ www.jainelibrary.org
SR No.003173
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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