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आध्यात्मिक पूजन- विधान संग्रह
श्री कुन्थुनाथ भगवान
प्रभु अहिंसा धर्म जग में, आपने विस्तृत किया। मैत्री - प्रमोद, दया तथा माध्यस्थ भाव सिखा दिया ।। अनुभूत मुक्तिमार्ग का, उपदेश दे प्रभु शिव बसे । हे कुन्थुनाथ जिनेन्द्र ! सहज सु, भक्ति उर में उल्लसे ॥ श्री अरनाथ भगवान
षट्खण्ड पर पाकर विजय, चक्री कहाए हे प्रभो । फिर विजय पाकर मोह पर, तीर्थेश कहलाए विभो ॥ भव रहित भगवान आत्मा, आप दर्शाया हमें । अरनाथजिन ! उपकारवश, नितभाव से वन्दन तुम्हें ॥ श्री मल्लिनाथ भगवान
हे बाल ब्रह्मचारी प्रभो, चिब्रह्म रस में रम रहे। यौवन समय निर्ग्रन्थ दीक्षा, धार शिवचारी भये ॥ त्रैलोक्य जेता काम जीता, होय निर्मोही सहज । मल्लिजिन ! प्रभुरूप लखते, शीश झुक जाता सहज ॥ श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान
हे नाथ मुनिसुव्रत तुम्हें, पाकर सनाथ हुआ जगत । दिव्य ध्वनि सुनकर सु जाना, भविजनों ने सत् असत् ॥ असत् रूप विभाव तज, सत् भाव की आराधना । भव्यजीव तिरें भवोदधि, हो सहज प्रभु वन्दना ॥ श्री नमिनाथ भगवान
अणुमात्र का स्वामित्व तज, यलोक के स्वामी हुए । आत्मा में मग्न हो, सर्वज्ञ जगनामी हुए ॥ शुद्धात्मा ही मंगलोत्तम, शरण रूप अनन्य है । हो नमन् नमि जिन ! आपको, नमनीय रूप अनन्य है ॥ श्री नेमिनाथ भगवान
हे नेमि प्रभु ! आदर्श है, वैराग्य जग में आपका। चढ़ गये गिरनार स्वामी, तोड़ बन्धन पाप का ॥
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