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आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह श्री अक्षयतृतीया पर्व पूजन
(दोहा) कर्मभूमि की आदि में ऋषभ मुनि अविकार। नृप श्रेयांस दिया प्रथम इक्षु रस आहार ।। दानतीर्थ का प्रवर्तन, हुआ सु मंगलकार।
अक्षय तृतीया का दिवस, पूजें प्रभु सुखकार ॥ ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् । ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् ।
(छन्द-अवतार) मिथ्यामल नाशक नीर, सम्यक् सुखकारी। ले तुम समीप हे देव, नित मंगलकारी। पूजें हम ऋषभ मुनीश, हो युक्ताहारी।
साक्षात् अनाहारी हो, शिवमगचारी ।। ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामिति स्वाहा ।
क्रोधानल नाशक नाथ, चन्दन क्षमामयी।
पाया तुम सम सुखकार, ज्ञायक ज्ञानमयी॥पूजें.।। ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चन्दनं निर्वपामिति स्वाहा ।
अक्षत वैभव सुखकार, अन्तर माँहि लखा।
क्षत् विक्षत् विभव असार, भासा मोह नसा ।।पूजें.॥ ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं निर्वपामिति स्वाहा ।
निष्काम भावना देव, जागी हितकारी।
परमार्थ भक्ति से काम, नाशे दुखकारी॥पूजें.।। ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्राय कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामिति स्वाहा ।
हो निज से निज में तृप्त, वह विधि सिखलाई।
कैसे गावें उपकार, शाश्वत निधि पाई ।पूजें.॥ ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामिति स्वाहा ।
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