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आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह
मोह विजय को सूचित करती, दुंदुभि धुनि संदेश सुनाय। आओआओअहोजगतजन,सुनो दिव्यध्वनि शिवसुखदाय ॥ धर्मतीर्थ तहँ शाश्वत वर्ते, महिमा मुझसे कही न जाय। धन्य-धन्य जो प्रत्यक्ष देखें, सनें दिव्यध्वनि बोधि लहाय ।। हो निग्रंथ रमें निज माँहीं, परमातम पद पावें सार। भाव सहित तिनको यश गाऊँ, सहज नमन होवे अविकार ॥
(घत्ता) जय जिन गुण सारं मंगलकारं, गाऊँ अति ही हर्षाऊँ।
निज में रम जाऊँ, कर्म नशाऊँ, ऐसे ही गुण प्रगटाऊँ ।। ॐ ह्रीं श्री विद्यमान विंशतितीर्थकरेभ्यः जयमाला अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
(दोहा) जो जिन पूजे भाव से, धरें नित्य ही ध्यान । अल्पकाल में वे लहें, अविनाशी निर्वान ।
॥ पुष्पाञ्जलिं क्षिपामि॥ श्री सीमन्धर जिनपूजन
(सोरठा) सीमन्धर जिन नाथ, पूर्व विदेह विराजते।
हृदय विराजो नाथ, भाव सहित पूजा रचों ।। ॐ ह्रीं श्री सीमन्धरजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं । ॐ ह्रीं श्री सीमन्धरजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः:: स्थापन। ॐ ह्रीं श्री सीमन्धरजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं ।
(वीरछन्द) जन्म जरा मृत चक्र नाशने, जिन चरणों में आया हूँ। तुम हो अक्षय अविनाशी प्रभु, यह लख अति हर्षाया हूँ॥ यह जल लख निस्सार जिनेश्वर, सन्मुख आज चढ़ाता हूँ॥
विद्यमान सीमंधर स्वामी ! आत्म भावना भाता हूँ। ॐ ह्रीं श्री सीमन्धरजिनेन्द्राय जन्म जरा मृत्यु रोग विनाशनाय जलं नि.स्वाहा।
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