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आध्यात्मिक पूजन- विधान संग्रह
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मोह महातम तुरत नशाय, आत्मज्ञान की ज्योति जगाय । सीमंधर आदिक जिन बीस चरणों में नित नाऊँ शीश ।। ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्करेभ्यः मोहांधकार विनाशनाय दीपम् निर्व. स्वाहा । जलें कर्म भव दुख विनशाय, निर्मल आत्मध्यान प्रगटाय । सीमंधर आदिक जिन बीस, चरणों में नित नाऊँ शीश ॥ ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्करेभ्योऽष्टकर्म विनाशनाय धूपम् नि.स्वाहा । सुखमय सम्यक्चारित्र धार, महा मोक्षफल पाऊँ सार । सीमंधर आदिक जिन बीस, चरणों में नित नाऊँ शीश ॥ ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्करेभ्यो मोक्षफलप्राप्तये फलं नि. स्वाहा । सहज भावमय अर्घ्य चढ़ाय, निज अविचल अनर्घ्यपद पाय । सीमंधर आदिक जिन बीस, चरणों में नित नाऊँ शीश ॥ ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्करेभ्योऽनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं नि. स्वाहा ।
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जयमाला
(दोहा)
अहो विदेहीनाथ के, गुण गाऊँ सुखकार । देह रहित शुद्धात्मा, ध्याऊँ नित अविकार ।। (वीरछन्द)
श्री सीमंधर युगमंधर श्री, बाहु सुबाहु सु संजातक । स्वयंप्रभ ऋषभानन वन्दूँ, अनन्तवीर्य नाशें पातक ॥ श्री सूर्यप्रभ विशालकीर्ति जी, जजूँ वज्रधर चन्द्रानन । भद्रबाहु अरु श्री भुजंगम, ईश्वर जिन भव दुख भानन ॥ नेमिप्रभ श्री वीरसेन जिन, महाभद्र प्रभु मंगलकार । श्री देवयश अजितवीर्य को, नमूँ नित्य त्रय योग संभार ।।
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बीस तीर्थंकर सदा विदेहों में शोभें आनन्दकारी । धनुष पाँच सौ काय विराजे, समवशरण महिमा न्यारी ॥ सिंहासन पर अन्तरीक्ष प्रभु, तिष्ठे अपने ही आधार । चौंसठ चमर छत्र त्रय शोभित, भामण्डल द्युति लसे अपार ॥
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