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आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह
श्री विद्यमान बीस तीर्थंकर पूजन
(अडिल्ल) ढाई द्वीप में पाँच विदेह हैं शाश्वते।
तीर्थंकर जहँ बीस सदा ही राजते॥ भक्ति भाव से करूँ सहज आराधना।
निज पद पाऊँ नाथ यही है भावना॥ ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्करा: ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्कराः ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं । ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्कराः ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् ।
(चौपाई) स्वयं सिद्ध शुद्धातम ध्याय, जन्म जरा मृत दोष नशाय ।
सीमंधर आदिक जिन बीस, चरणों में नित नाऊँ शीश ।। ॐ ह्रीं श्री सीमंधर-युगमन्धर-बाहु-सुबाहु-संजातक-स्वयंप्रभ-ऋषभाननअनन्तवीर्य-सूरिप्रभ-विशालकीर्ति-वज्रधर-चंद्रानन-भद्रबाहु भुजंगम्-ईश्वरनेमिप्रभ-वीरषेण-महाभद्र देवयशो-ऽजितवीर्येतिविद्यमान विंशतितीर्थङ्करेभ्यो जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।।
क्रोधादिक दुर्भाव नशाय, क्षमाधार भव ताप मिटाय।
सीमंधर आदिक जिन बीस, चरणों में नित नाऊँ शीश ।। ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्करेभ्यः भवातापविनाशनाय चन्दनम् निर्व. स्वाहा।
इन्द्रिय सुख क्षत् विक्षत् रूप, त्याग लहूँ आनन्द अनूप।
सीमंधर आदिक जिन बीस, चरणों में नित नाऊँ शीश ।। ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्करेभ्योऽक्षय पद प्राप्तये अक्षतम् नि. स्वाहा।
त्याD प्रभु अब्रह्म दुखदाय, निश्चय परम शील प्रगटाय।
सीमंधर आदिक जिन बीस, चरणों में नित नाऊँ शीश। ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्करेभ्य: कामबाण विध्वंशनाय पुष्पम् नि. स्वाहा।
क्षुधा वेदनीय उपशम होय, पाऊँ निजानन्द रस सोय।
सीमंधर आदिक जिन बीस, चरणों में नित नाऊँ शीश ।। ॐ ह्रीं श्री विद्यमानविंशतितीर्थङ्करेभ्यः क्षुधारोग विनाशनाय नैवेद्यम् निर्व. स्वाहा।
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