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आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह
श्री विमलनाथ जिनपूजन
(चौपाई) जय-जय विमलनाथ भगवान, भक्ति सहित करता आह्वान् । मेरे हृदय विराजो देव, आराधूं निजपद स्वयमेव ॥
(दोहा) कम्पिल नगरी जन्म से, हुई जगत विख्यात ।
कृतवर्मा प्रभु के पिता, जय-जय श्यामा मात ।। ॐ ह्रीं श्री विमलनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् । ॐ ह्रीं श्री विमलनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठःठः। ॐ ह्रीं श्री विमलनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भववषट्।
(छन्द-चाल होली) प्रभु पूजों भाव सों, श्री विमलनाथ जिनरायजी पूजों भाव सों।
प्रासुक समतामय जल लीनों, अन्तर्दृष्टि लाय।
यही भावना प्रभु प्रसाद से, जन्म-मरण मिट जाय ॥प्रभु..॥ ॐ ह्रीं श्री विमलनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
उत्तम क्षमा भाव मय चन्दन, भव आताप मिटाय।
प्रभु चरणों में मैंने पाया, आनन्द उर न समाय ।।प्रभु... || ॐ ह्रीं श्री विमलनाथजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा।
जग में भोग संयोग विभव सब विनाशीक दुखदाय।
अक्षय पद का आराधन कर, अक्षय प्रभुता पाय ।।प्रभु..॥ ॐ ह्रीं श्री विमलनाथजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा।
कामदाह अति ही दुखदायक, महा अनर्थ कराय।
ताको नाशि लहूँ तुम सम ही, ब्रह्मचर्य सुखदाय ॥प्रभु..॥ ॐ ह्रीं श्री विमलनाथजिनेन्द्राय कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ।
तृष्णा भाव मिटे हे स्वामी, भव-भव में दुखदाय।
सन्तोषामृत पियूँ निरन्तर, तुम समान जिनराय ॥प्रभु..॥ ॐ ह्रीं श्री विमलनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
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