SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 130 आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह श्री शीतलनाथ जिनपूजन (छन्द-अडिल्ल) कल्पवृक्ष शुभ चिन्ह सुदेव मनोज्ञ है। कल्पवृक्ष नहिं तुम उपमा के योग्य है। अविचल सुख दातार सहज ज्ञातार हो। हृदय विराजो प्रभो ! परम उपकार हो। __ (दोहा) जय जय शीतलनाथ जिन, मिथ्या तपन नशाय। परम जितेन्द्रिय भाव सों, पूजें मंगलदाय॥ ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं । ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं। (छन्द-द्रुतविलम्बित) सहज समकित जल प्रभु धारिके, जन्म मरण कुरोग निवारिके। परम आनन्दमय शिवदायकं, जो शीतलजिन जगनायकं । ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं नि. स्वाहा। भावनामय चन्दन लायके, दुःखमय भवताप नशायिके। परम आनन्दमय शिवदायकं, जो शीतलजिन जगनायकं ॥ ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनेन्द्राय संसारतापविनाशनाय चन्दनं नि. स्वाहा। सहज संयम धारे सुखकर, अखय पद को पावें जिनवरं। परम आनन्दमय शिवदायकं, जजें शीतलजिन जगनायकं ॥ ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं नि. स्वाहा। पंच इन्द्रिय भोग विडारिके, भजें नित निष्काम विचारिके। परम आनन्दमय शिवदायकं, जजें शीतलजिन जगनायकं ॥ ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनेन्द्राय कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं नि. स्वाहा। तृप्त होवें निजरस लीन हो, क्षुधा तृष्णा सहजहिं क्षीण हो। परम आनन्दमय शिवदायकं, जजें शीतलजिन जगनायकं । ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं नि. स्वाहा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003170
Book TitleAdhyatmik Poojan Vidhan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra
PublisherKanjiswami Smarak Trust Devlali
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, Religion, Ritual, & Vidhi
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy