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क्रमबद्धपर्याय: निर्देशिका
गुण- पर्यायात्मक वस्तु में अक्रमवर्ती गुण और क्रमवर्ती पर्याय - ऐसा अनेकान्त घटित होता है, अतः क्रमाक्रमरूप अनेकान्त भी गुण पर्यायात्मक वस्तु में घटित करना चाहिये, अकेली पर्याय में नहीं ।
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प्रश्न 14
गर्भित आशय :- अकालमृत्यु के सन्दर्भ में ऐसा अनेकान्त घटित किया गया था कि उदीरणा या अपकर्षण से होने वाले मरण की अपेक्षा अकालमृत्यु है, तथा केवलज्ञान की अपेक्षा स्वकाल मृत्यु है; तो फिर क्रमबद्धपर्याय में ऐसा अनेकान्त घटित क्यों नहीं हो सकता कि केवलज्ञान की अपेक्षा पर्यायें क्रमबद्ध हैं और छद्मस्थ की अपेक्षा अक्रमबद्ध हैं?
उत्तर :
1. अकालमृत्यु के सन्दर्भ में मात्र यह कहा गया था कि उदीरणा या अपकर्षण से होने वाले मरण की अपेक्षा अकालमृत्यु कही जाती है, हुई तो वह स्वकाल में ही है। वह अपने स्वकाल में न होकर आगे-पीछे हुई है - ऐसा उसका आशय नहीं है।
2. क्रमबद्धपर्याय के सन्दर्भ में आइन्सटीन का निम्न कथन विचारणीय है :"Events do not happen, they already exisats and are seen on the time machine" घटनायें घटती नहीं, वे पहले से ही विद्यमान हैं तथा कालचक्र पर देखी जाती हैं।
प्रश्न 15, 16 एवं 17
गर्भित आशय :- प्रवचनसार में अकालनय की चर्चा आती है; जिससे यह सिद्ध होता है कि कृत्रिम गर्मी से पकाये गए आम की भाँति कार्य की सिद्धि अकाल में भी होती है, अतः अकालनय और क्रमबद्धपर्याय में परस्पर विरोध आता है।
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