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________________ क्रमबद्धपर्याय : एक अनुशीलन लगते हैं, तो आश्चर्य होता है। सर्वज्ञ का ज्ञान अनिश्चयात्मक या सशर्त नहीं, अपितु निश्चयात्मक और बिना शर्त होता है। 2. अज्ञानी सोचता है कि यदि भविष्य को निश्चित माना जाएगा, तो वस्तु की स्वतंत्रता खण्डित हो जाएगी। परन्तु यह पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि हमारी इच्छानुसार वस्तु का परिणमन होना स्वतंत्रता नहीं, अपितु वस्तु का तत्समय की योग्यतानुसार परिणमन करना ही स्वतंत्रता है। ___ 3. यदि भविष्य को निश्चित न माना जाए, तो ज्योतिष-ज्ञान, निमित्तज्ञान आदि भी काल्पनिक सिद्ध होंगे। अतः सर्वज्ञ को भविष्यज्ञ न मानने पर सम्पूर्ण जिनागम के विरोध का प्रसंग आएगा। इसलिए जो लोग उनकी भविष्यज्ञता से इन्कार करते हैं, उनसे अनुरोध है कि वे इस विषय पर पुनर्विचार अवश्य करें। यह बात जिस व्यक्ति के माध्यम से प्रसिद्ध है, उसका विरोध करने के लिए वे जिनागम का विरोध न करें। 4. विशेष निर्देश :- पूर्व निर्देशानुसार आगम प्रमाणों की तालिका में ये आगम प्रमाण भी लिखवा दिए जायें। प्रत्येक आगम प्रमाण को यथासम्भव विस्तार से समझाया जाए। प्रश्न :10. भविष्य को निश्चित मानने में अज्ञानी को क्या आपत्ति है? 11. यदि भविष्य को निश्चित न माना जाए तो क्या हानि है? **** हमारी इच्छानुसार वस्तु का परिणमन स्वतंत्रता नहीं, अपितु परतंत्रता है। वस्तु की योग्यतानुसार परिणमन ही वस्तु की स्वतंत्रता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003169
Book TitleKrambaddha Paryaya Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size5 MB
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