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________________ 125 क्रमबद्धपर्याय : प्रासंगिक प्रश्नोत्तर प्रश्न :- सम्यग्दर्शन में निमित्त कौन होगा? उत्तर :- सच्चे देव-शास्त्र-गुरु तथा दर्शन मोहनीय कर्म का उपशम/ क्षयोपशम/क्षय ही सम्यग्दर्शन में निमित्त हैं। इनके होने पर ही सम्यग्दर्शन होता है अन्यथा नहीं। इस प्रकार निमित्त की उपयोगिता सिद्ध हुई। खानियाँ तत्त्व चर्चा भाग 1 पृष्ठ 26, 208 और 250 में अष्टसहस्त्री पृष्ठ 257 पर दिए गए भट्ट अकलंकदेव विरचित निम्न छन्द के माध्यम से पाँचों समवायों के सुमेल की चर्चा की गई है : तादशीजायते बुद्धिर्व्यवसायाश्च तादृशाः। सहायास्ताद्दशा सन्ति याद्दशी भवितव्यता॥ जिस जीव की जैसी भवितव्यता (होनहार) होती है, उसकी वैसी ही बुद्धि हो जाती है। वह प्रयत्न भी उसी प्रकार का करने लगता है और उसके सहायक भी उसी के अनुसार मिल जाते हैं। प्रश्न 17. जब कार्योत्पत्ति में सभी समवायों का समान योगदान है, तो जगत् में और आगम में निमित्त की मुख्यता से अधिकांश कथन क्यों किये जाते हैं? उत्तर :- उपादानगत चारों समवाय अर्थात् स्वभाव, पुरुषार्थ, काललब्धि और भवितव्यता सभी कार्यों में एक सामान्यरूप से व्याप्त हैं। किसी भी कार्य के बारे में पूछा जाए तो इन समवायों की ओर से एक ही उत्तर होंगे। जैसे-मिथ्यात्व क्यों हुआ? तो काललब्धि की अपेक्षा कहा जाएगा कि उसका स्वकाल था। यही उत्तर सम्यक्त्व, केवलज्ञान आदि किसी भी कार्य में तथा जन्म-मरण, लाभहानि आदि लौकिक कार्यों के सन्दर्भ में भी यही उत्तर होगा। स्वभाव, पुरुषार्थ होनहार आदि की अपेक्षा भी सभी कार्यों के कारणों की भाषा एक-सी होगी अतः ये चार समवाय ज्ञात हैं। निमित्त कौन है? यह अज्ञात है इसीलिए निमित्त की मुख्यता से कथन करना अनिवार्य है। यदि कोई गिलास टूट गया और कोई पूछे कि यह किसने तोड़ा? तो उसका आशय निमित्त के बारे में जानने का है अतः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003169
Book TitleKrambaddha Paryaya Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size5 MB
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