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अध्यात्म की वर्णमाला
वह ऊर्जा का केंद्र भी है । ज्ञानकेंद्र पर एक साथ लम्बा ध्यान मत करो । धीरे-धीरे बढ़ाओ । एक साथ लम्बा ध्यान करने से ऊष्मा बहुत बढ़ जाती है । उसे सहन करना कठिन होता है । इसलिए ध्यान की कालावधि चिन्तनपूर्वक निर्धारित करनी चाहिए ।
ज्ञान
प्रारम्भ में पांच मिनट का ध्यान पर्याप्त है । फिर एक-दो सप्ताह के अंतराल से दो-दो मिनट और बढ़ाए जा सकते हैं । केंद्र में ध्यान करने पर सहज ही मूलबन्ध होने लगे तो समझो — ध्यान प्रारम्भ हो गया है ।
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१ अप्रेल,
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लाडनूं १९९२
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