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अध्यात्म की वर्णमाला
तक पहुंच जाए।
इस भूमिका में कायोत्सर्ग और अन्यत्व-अनुप्रेक्षा-दोनों एकमेक हो जाते हैं। दूध में चीनी अपने अस्तित्व को विलीन कर देती है वैसे ही कायोत्सर्ग में अन्यत्व-अनुप्रेक्षा का विलय हो जाता है । इसे बदल कर भी कह सकते हैं-अन्यत्व-अनुप्रेक्षा में कायोत्सर्ग का का विलय हो जाता है । यह विलय की साधना प्रेक्षाध्यान की पहली भूमिका है।
पाली १ अक्टूबर, ९०
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