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________________ समण दीक्षा : एक परिचय ३५ साहित्य-सम्पादन आगम सम्पादन तथा साहित्य सृजन की दृष्टि से तेरापंथ सम्पूर्ण जैन जगत् में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है ! तेरापंथ द्वारा सम्पादित आगमग्रंथ, कोश, भाष्य, निर्युक्तियों आदि की प्रामाणिकता स्वतः सिद्ध है । तेरापंथ साहित्य की अपनी मौलिकता है । साहित्य सम्पादन के कार्य में आगम शब्द कोश आदि महत्त्वपूर्ण कार्यों के सम्पादन में समणीवृन्द सहभागी बने हैं। निर्युक्तियों, व्यवहारभाष्य, निशीथभाष्य आदि के सम्पादन के दुरूह कार्य में भी इस श्रेणी की विशेष भूमिका रही है । 1 समण श्रेणी द्वारा संकलन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण कार्य हुए हैं आचार्य तुलसी की अपार साहित्य सम्पदा से संकलित सूक्ति ग्रंथ - एक बूंद : एक सागर पांच भागों में प्रकाशित है । इसे विश्व का सबसे वृहत् सूक्ति' संग्रह कहा जा सकता है। आचार्य तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण, आचार्य तुलसी साहित्य सम्पदा, पौरुष की जलती मशाल इस श्रेणी की अपनी कृतियां हैं। आचार्य महाप्रज्ञ की तीन महत्त्वपूर्ण कृतियां अमूर्त चिन्तन, चित्त और मन तथा संभव है समाधान समण श्रेणी द्वारा संकलित है । लगभग पचास से अधिक लघुशोध प्रबन्ध संमणीवृन्द द्वारा लिखे जा चुके हैं। अनेक हस्तलिखित पत्रिकाएं, गीत संग्रह, काव्य संग्रह, कहानी संग्रह, निबंध संग्रह भी गणाधिपति गुरुदेव के चरणों में समर्पित किये जा चुके हैं । विकास की इतिश्री यहीं नहीं है । बहुत बड़ा क्षेत्र सामने पड़ा है । विकास की यात्रा अभी तलहटी में ही है, ऊंचाई तो बहुत दूर है। कहा जा सकता है कि गणाधिपति गुरुदेव एवं आचार्यश्री की अनन्त प्रेरणा से तथा महाश्रमणी जी के वात्सल्य भरे प्रोत्साहन से समण श्रेणी शिक्षा, सम्पादन और लेखन के क्षेत्र में विकास कर रही है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003166
Book TitleSaman Diksha Ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatishree Samni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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