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________________ श्री शांतिलाल नाहर ५६७ ६. श्री कांगड़ा तीर्थ के पुर्नोद्धार में विशेष रुचि रही । मंदिर जी के जीर्णोद्धार, धर्मशाला के नव-निर्माण, नवीन जिनालय की स्थापना करवाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ७. श्री कांगड़ा तीर्थ के विकास कार्य में पंजाब केसरी श्री मद्विजयवल्लभ सूरीश्वर जी का विशेष आशीर्वाद रहा । उन ही की प्रेरणा तथा माशीर्वाद से कांगड़ा तीर्थ के विकास कार्य के लिये विशाल भूमि-स्थल प्राप्त करके आनंद प्राप्त किया। ८. तीर्थ सेवाकार्य एवं संघ-सेवा कार्य में जिनशासन रत्न श्रीमद् विजयसमुद्र सूरीश्वर जी एवं परमार क्षत्रियोद्धारक श्रीमद् विजयइंद्रदिन्न सूरीश्वर जी, तपोमूर्ति श्रीमद् विजयप्रकाशचंद्र सरिजी तथा जैनभारती, कांगडा तीर्थोद्धारिका महत्तरा साध्वीरत्न श्री मगावती श्री जी की विशेष कृपा दृष्टि एवं आशीर्वाद प्राप्त किया। ९. लेखक के रूप में श्री कांगड़ा तीर्थ की ऐतिहासिक पुस्तक 'कांगड़ा तीर्थ' नाम से रचना की तथा श्री कांगड़ा तीर्थ सम्बंधी अनेकों लेख, विज्ञापनपत्र एवं रिपोर्ट प्रादि प्रकाशन करवाये। १० शासनदेवी चक्रेश्वरी माता के ऐतिहासिक तीर्थस्थल सरहिंद में कार्यरत कमेटी में उपाध्यक्ष पद प्राप्त करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुना तथा भगवती चक्र श्वरी के चमत्कारी ऐतिहासिक प्रसंगों पर आधारित ऐतिहासिक कथाय एवं सरहिंद तीर्थ के ऐतिहासिक प्रसंग लिखने में भी संलग्न हैं । इस रचना का प्रकाशन भी शीघ्र ही हो जाने की सम्भावना है। ११. काव्य रचना एवं नाटक का भी कुछ शौक रहा। दो एकांकी नाटक लिखे परन्तु प्रकाशित नहीं हुए । कुछ गीत लिखने का भी प्रानंद प्राप्त किया। १२. अखिल भारतीय जैनश्वेतांबर कान्फ्रेंस के लुधियाना महा-अधिवेषण में कांगड़ा तीर्थ के प्रतिनिधि रूप में सम्मिलित हुए एवं अभिभाषण पढ़ा । १३. श्री प्रात्मानंद जैन महासभा पंजाब के महा अधिवेषण कांगड़ा में सन् १९५४ तथा होशियारपुर सन् १९६३ में सभापति ला० बाबूराम जैन वकील तथा लाला मेघराज जैन कोटकपूरा को स्वागत-समिति के मंत्री के रूप में मानपत्र भेंट करने का सुअवसर प्राप्त हुप्रा। १४. श्री प्रात्मानंद जैन महासभा (पंजाब) उत्तरीय भारत की कार्यकारिणी में होशियारपुर श्रीसंघ की ओर से प्रतिनिधि बन कर सम्मान प्राप्त किया। १५. जैनाचार्य श्रीमद् विजयसमुद्र सूरीश्वर जी महाराज ने आपकी प्रार्थना पर जजों जैनमंदिर में खंडित मूलनायक प्रतिमा के स्थान पर चंद्रप्रभु की नवीन प्रतिमा स्थापित करवा कर महान उपकार किया तथा शोभा बढ़ाई तथा दादीकोठी की पुण्यभूमि पर पधार कर इस तीर्थस्थल को इस काल में प्रथम मुनि-दर्शन का लाभ प्राप्त हुआ। १६ श्री प्रात्मानंद जैन महासभा पंजाब की ओर से जेजों जैनमंदिर के प्रतिनिधि रूप में सेवा कर रहे हैं । इस सेवा कार्य में मंदिर जी के जीर्णोद्धार करवाने का महान लाभ भी प्राप्त हुआ। १७. भगवान महावीर की पच्चीसवीं निर्वाण शताब्दी के सुअवसर पर गठित भगवान महावीर जैनसंघ पंजाब की कार्यकारिणी में होशियारपुर श्रीसंघ की ओर से प्रतिनिधि रूप में सम्मलित हुए। १८. श्री महावीर जैनसंघ पंजाब (लुधियाना) की ओर से निर्वाण शताब्दी के उपलक्ष में ज़िला होशियारपुर के लिये संयोजक नियुक्त होकर शोभा प्राप्त की तथा होशियारपुर में स्थान स्थान पर शताब्दी समारोह मनाने की प्रेरणा देकर जिनशासन को शोभा बढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त किया। १६. श्री महावीर जैनसंघ होशियारपुर के मंत्री रूप में भी सेवा की । सारे ऐतिहासिक सम्मेलन करवा कर हार्दिक प्रानंद प्राप्त किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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