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मध्य एशिया मोर पंजाब में जैनधर्म
श्री जसवन्तराय भाभू श्री जसवंतराय जी जैन प्रोसवाल वंश में भाभू गोत्र के थे। आपका जन्म होशियारपुर पंजाब में हुआ था । आपके माता-पिता का देहांत पाप के बचपन में ही हो गया था। हिम्मत और हौसले से आप अपने पैरों पर खड़े हुए; और हिन्दी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी भाषाओं के जानकार थे। कई वर्षों तक आप लाहौर के एक बैंक में नौकरी करते रहे।
___ लाहौर में एक श्वेतांबर जैनमंदिर था। जीर्णावस्था में, जो दिगम्बरों के कब्जे में था। आप ने बड़ी सझबूझ के साथ उस मंदिर को दिगम्बरों से प्राप्त करके उसकी मुरमत करवाई और व्यवस्था ठीक की । लाहौर में रहते हुए आपने हिन्दी भाषा में श्री प्रात्मानंद जैन मासिक पत्रिका निकाली जो कई वर्षों तक चलती रही । मूर्तिमंडन, दयानंद कुर्तकतिमिरतरणी, चिकागो प्रश्नोत्तर प्रादि पुस्तकों का प्रकाशन कराया। भारतवर्षीय जैन श्वेतांबर कान्फ्रेंस के पंजाब प्रांतीय शाखा के पाप कई वर्षों तक मंत्री रहे । पंजाब में जैन बैंक आफ इंडिया चालू कराया।
स० ई० १९१३ में पाप सपरिवार दिल्ली स्थाई रूप से आ गये। श्री हस्तिनापुर जैनश्वेतांबर तीर्थ की व्यवस्था अत्यन्त शोचनीय थी । लाला गंगाराम जी दूगड़ अंबाला के साथ मिल कर श्री हस्तिनापुर जैनश्वेतांबर कमेटी का गठन किया और इसके पूर्व प्रबन्धकों ने इस तीर्थ को इस कमेटी को सौंप दिया। तब इस तीर्थ की व्यवस्था को व्यवस्थित किया।
दिल्ली के किनारी बाजार में तपगच्छ मूर्तिपूजक श्वेतांबर जैनों का एक उपाश्रय था जिस का प्रबंध ठीक नहीं था। आप ने दिल्ली वाले लाला टीकमचंद जी से मिलकर उपाश्रय की हालत ठीक कराई और उस के प्रबंध केलिये आत्मवल्लभप्रेम भवन प्रबंधक कमेटी का गठन किया। जो कि अब तक इस उपाश्रय की व्यवस्था कर रही है।
श्री आत्मानंद जैन गुरुकुल पंजाब गुजरांवाला की प्रबंधक कमेटी के आप कई वर्षों तक सदस्य रहे।
ई० स० १६३६ में प्राप बम्बई गये प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि के मादेश से मापने वहाँ श्री प्रात्मानंद जैन सभा का गठन किया। जो आज तक बम्बई में सुचारु रूप से जैन समाज की सेवा कर रही है।
माप ने मालीवाड़ा दिल्ली में कई नवयुवकों का एक मंडल बनाया और इस मंडल ने मालीवाडा में श्री महावीर जैन औषधालय की स्थापना की जिसमें रोगियों की निःशुल्क चिकित्सा की जाती है। यह औषधालय माज तक चालू है ।
प्राचार्य श्री विजयानन्द सूरि जी का यह विचार जैनसमाज में बेटी व्यवहार की प्रांतिक संकचितता नहीं रहनी चाहिये। जब तक ऐसी बाड़ाबन्दियां समाप्त नहीं होती तब तक सामाजिक संगठन सदढ नहीं रह सकता । दिल्ली राजस्थान आदि के पोसवालों के साथ पंजाब के प्रोसवालों कालीवहार (विवाह शादी) नहीं होता था। लाला जी दिल्ली प्राकर दिल्ली के प्रोसवाल समाज से ऐसे घुलमिल गये कि उनके बड़े बेटे का विवाह ई० स० १६२२ में दिल्ली के भोसवाल जौहरियों के यहां हुआ। इसके बाद अपने दो पुत्रों के विवाह अजमेर (राजस्थान) के प्रोसवाल समाज में किये।
पश्चात् पाप ने आगरा, दिल्ली और राजस्थान के प्रोसवाल समाज के साथ इतना मेलजोल बढ़ाया कि वहां की अनेक कन्याओं के विवाह गुजरांवाला, जम्मू, लुधियाना, होशियारपुर, अंबाला आदि पंजाब के अनेक नगरों के प्रोसवाल समाज में करवाये ।
मापका स्वर्गवास हो गया । जब स्यालकोट में प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरिजी को देहांत के समाचार मिले तब गुरुदेव ने उन के परिवार को एक पत्र में लिखा कि बाबू जसवंतराय जी के देहांत से जो स्थान खाली हुमा है उस की पूर्ति कठिन है। बाबूजी मे जो शासनसेवा की है बह सदा स्मरणीय रहेगी।
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